नई दिल्ली: अयोध्या मामले में बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी को अयोध्या मसले पर केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल कि गई याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा है कि विवादित जमीन को छोड़ अन्य जमीन को सरकार किसी को भी सौंप दें, इस पर हमे कोई एतराज नहीं है। उन्होंने कहा है कि देश के माहौल को देखते हुए सरकार ऐसे कदम उठाए, जिससे हिन्दू-मुस्लिम दोनों को दुख न पहुंचे। उन्होंने कहा कि अब ये मसला हल हो जाना चाहिए।
अयोध्या मामला: मोदी सरकार का बड़ा कदम, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखी ये मांग
उल्लेखनीय है कि अयोध्या मामले पर मोदी सरकार ने आज मंगलवार को बड़ा कदम उठाते हुए शीर्ष अदालत में अर्जी दाखिल की है। इसमें मोदी सरकार ने कहा है सरकार नेकि 67 एकड़ जमीन अधिग्रहण की थी, इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था। मोदी सरकार ने कहा है कि जमीन का विवाद मात्र 2.77 एकड़ के टुकड़े को लेकर है, बल्कि बाकी जमीन पर किसी तरह का विवाद नहीं है। इसलिए उस पर यथास्थित बरकरार रखने की आवश्यकता नहीं है। सरकार चाहती है जमीन का कुछ भाग राम जन्भूमि न्यास को दिया जाए और शीर्ष अदालत से इसकी अनुमति मांगती है।
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मोदी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से मांग की है कि वे अपने 31 मार्च, 2003 के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश में संशोधन करे या उस आदेश को वापस ले। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अयोध्या की विवादित जमीन को मूल मालिकों को वापस लौटने की अनुमति मांगी है। इसमें 67 एकड़ एकड़ भूमि का सरकार द्वारा अधिग्रहण किया गया था, जिसमें करीब 2.77 एकड़ विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि है। केंद्र सरकार का कहना है कि 1993 में राम जन्मभूमि न्यास से जो 42 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी सरकार उसे मूल मालिकों को वापस लौटना चाहती है, वहीं मुस्लिम पक्षकार भी 0.313 एकड़ जमीन पर ही अपना दावा करते हैं, इससे ज्यादा का दावा उन्होंने कभी नहीं किया है।
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