IYD : योग- विधा, विज्ञान, ज्यमिती.....
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योगम् शरणं गच्छामि। योग का अर्थ जिसे मैंने अपने तरीके से समझा है। जिस प्रकार पारम्परिक नृत्य में विभिन्न मुद्राएं मुख की आभा निखारती है, उसी प्रकार योग मुख की उपरी आभा के साथ-साथ भीतरी आभा को भी मांजकर निखारता है। योग अपने आप में एक विधा और विज्ञान है, जो वास्तव में शरीर की ज्यमिति और सर्किट से जुड़ा हुआ है।

पहले केवल राजा ही अपनी प्रजा के कल्याण के बारे में सोचता था, किंतु वर्तमान में हर व्यक्ति अपने बारे में सोचता है और इसी तरह हमने अपने शरीर से लेकर धरती तक और यहां तक की आने वाली पीढ़ी तक का जीवन दुर्भर करने की योजना बना दी है। समस्त पारंपरिक और पौराणिक चीजों को आज विज्ञान की कसौटी पर कसा जा रहा है। ऐसे में योग ही है, जो आपको आपसे मिलाकर आपके तन-मन तक को पावन कर सकता है।

अब 21 जून को ही योगा दिवस क्यों। जब जून में सूरज उतरायण से दक्षिणायन में प्रवेश करता है, तब योग दिवस मनाया जाता है। इस तरह से आपके शरीर का कंट्रोल पैनल आपके हाथ में आ जाता है। अगर आप इस सिस्टम से ठीक से पेश आते है, तो आप जीवन में अद्भुत चीजें कर सकते है। भारतीय संस्कृति में हर चीज के लिए एक खास आसन, एक खास मुद्रा, सांस लेने का एक खास तरीका बताया गया है, ताकि इंसान अपनी बेहतरीन क्षमता को प्रकट कर सके।

यह अभी भी हमारी संस्कृति में हर कहीं पाया जाता है, लेकिन अफसोस, कि जरूरी समझ और जागरूकता के बिना ही लोग इसका अभ्यास करते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के ऑनरेरी सेक्रेटरी डॉ के के अग्रवाल कहते है कि निश्चय ही योग से कई कष्टों व रोगों का उपचार किया जा सकता है। लगातार योगाभ्यास से निरोगी जीवन जिया जा सकता है। इस साल योग का डंका 192 देशों में बजा, तो एक सुर में स्वस्थकारी जीवन जीने की गुंज सी उठ गई।

इसका सारा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के प्राचीन ऋषि-मुनियों को जाता है। एक नया प्रयास जिसे इस साल से शुरु किया गया है कि हम हर साल एक बीमारी से लड़ने की शपथ लेंगे। देशभर में 3 लाख से अधिक कार्यक्रम हुए और कई नए प्रयोग भी हुए। गुजरात के राजकोट में सैकड़ों गर्भवती महिलाओं ने योग किया। इसी से आप योग के गुणों को समझ सकते है, कि जहां गर्भवती महिला को हर कदम फूंक-फूंक कर रखने की सलाह दी जाती है, उसे योगा करने को कहा जाता है। जिससे आनवे वाला नवजात स्वस्थ और तंदुरुस्त हो।

आज से लगभग 15 हजार साल पहले आदियोगी शिव ने इस धरती पर योग का जो बीज बोया उसके फलने-फूलने का समय अब आया है। योग विज्ञान का उपहार जो उन्होंने मानवता को दिया उससे अपने जीवन को खुशहाल बनाने का वक्त आ गया है। पिछले साल 21 जून को जब अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया तो पूरी दुनिया ने भारत के इस अनमोल उपहार – योग, का स्वाद चखा।

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