विश्व योग दिवस : भारत को जोड़ने का एक सुअवसर
विश्व योग दिवस : भारत को जोड़ने का एक सुअवसर
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इस प्राचीन देश को ऋषियों और महर्षियों से विज्ञान सम्मत ज्ञान मिला है। हमारे देश में आचार - विचार, खान- पान की पद्धति जिस तरह से विकसित रही वह जीवन अनुकूल और मौसमी चक्र के अनुकूल रही। हालांकि यह बात अलग है कि आज के दौर में हम एक मिश्रित संस्कृति में रहने लगे हैं जहां, सबकुछ चलता है के तर्ज पर मानव को मशीन की तरह लिया जा रहा है लेकिन यह मशीन एक समय बाद खराब होने लगती है। फिर इसे सुधाने के लिए हम देशी - विदेशी चिकित्सकों के पास दौड़ते हैं लेकिन यदि हम अपने तन को प्रारंभ से ही बेहतर रखें तो संभवतःइस तरह की परेशानियां सामने नहीं आऐंगी। भारत ने सदियों से विश्व को बहुत कुछ दिया है। उस दौर में जब इसका नाम आर्यावर्त था तब भी यह देश विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित करता था और आज भी भारत विष्व समुदाय को अपनी ओर खींच रहा है।

आखिर हमारे देश में ऐसा क्या है। जी हां, कहा भी गया है कि कुछ बात है कि हस्ति मिटती नहीं हमारी, सदियों से रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा। क्या आपने कभी सोचा है ऐसा देश जो स्वयं को संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता के लिए अपने मित्र राष्ट्रों से समर्थन की अपेक्षा कर रहा हो, ऐसा देश जहां का कृषक आज भी एक मैली सी घुटनों तक की धोती और साफा पहनता है, जिसे सदियों से सपेरों का देश कहा जाता रहा है लेकिन फिर भी विश्व इस देश से जब कुछ हासिल करना चाहता है तो विश्वसमुदाय भारत की इस संपदा के आगे हाथ फैलाए खड़ा रहता है। जी हां, यह और कुछ नहीं हमारा वह ज्ञान है जिसकी वर्तमान के दौर में सबसे ज़्यादा जरूरत है। आज विश्व भारत के इसी वैज्ञानिक ज्ञान को समझना चाहता है। उसे खुद अपना लेना चाहता है। हमारे देश में अब मिश्रित संस्कृति का बोलबाला है। यहां हिंदू, मुस्लिम, ईसाई एकता के सूत्र में बंधकर निवास करते हैं। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर विश्व समुदाय भारत की ऐसी ही एकता की अपेक्षा कर रहा है। वह दिन जब समूचे विश्व में एक साथ एक ही समय लोग योग करेंगे और विश्व को योग से लाभ का संदेश देंगे। योग अर्थात् जीवन में जोड़ना। यह एक महत्वपूर्ण आधार है। जीवन में हर कहीं हमें योग नज़र आता है। योग के बिना कुछ भी संभव नहीं लेकिन इस योग के पहले भी तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

योग हमारी आतंरिक और शारीरीक कमज़ोरियों को दूर कर हमें बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। यदि योगाभ्यास से हम स्वास्थ्य जागरूकता का वैश्विक संदेश देते हैं तो इसमें कहीं भी कुछ भी गलत नहीं है। मगर विभिन्न मान्यताओं के चलते इसका विरोध किया जाना समझ के परे है। इस मसले पर कहा जा रहा है कि मुस्लिम धर्मावलंबी सूरज के सामने नहीं झुकते वे तो परवरदिगार के अलावा किसी के सामने नहीं झुकते। इस तरह की दकियानूसी बातें कर हम विश्व को एक जीवनीय संपदा देने से वंचित कर रहे हैं। योग विश्व को दी जाने वाली भारत की एक अनूठी विरासत होगी। यदि हम एक साथ योग करने का संदेश विश्व को देते हैं तो कहीं से भी किसी की धार्मिक भावनाऐं आहत नहीं होंगी। क्योंकि संसार के सभी धर्मों में राष्ट्रधर्म को सबसे उपर माना गया है। और यदि सारे देशवासी मिलकर योग करते हैं तो यह किसी के सामने झुकने का प्रमाण नहीं कहा जा सकता।

कुछ लोगों का तो यहां तक मानना है कि नमाज़ अता करने में भी धर्मावलंबियों को झुकना पड़ता है जब सार्वजनिक रूप से नमाज़ अता की जाती है तो हर कहीं सूरज का उजाला होता है ऐसे में उस उजाले के सामने झुकने से कोई खुद को अलग नहीं कर सकता। यदि सभी के द्वारा योग का प्रदर्शन किया जाता है तो यह कहीं से भी किसी एक धर्म के प्रचार का माध्यम नहीं होगा। इस तरह से लोगों को अपनी शारीरीक और मानसिक अवस्था को संतुलित रखने का अवसर प्रदान किया जाता है स्वास्थ्य जागरूकता योग के माध्यम से आसानी से जगाई जा सकती है। यही नहीं आधुनिक दौर में कई ऐसे रोग सामने आ रहे हैं जिनमें योगासन उपचार के तौर पर सबसे कारगर बताया गया है। ऐसे में इसे किसी धर्म विशेष से जोड़ना उचित नहीं होगा। यदि जीवन में हम तोड़ने के बजाय जोड़ते चले जाते हैं तो वह हमें भी खुशियां ही प्रदान करता है। इस बात को ध्यान में रखतेहुए सभी को विश्व योग दिवस के भारतीय कार्यक्रम में साथ आने की जरूरत है।

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