मानव का मन में बैठे महेश से मिलन है नृत्य विधा
मानव का मन में बैठे महेश से मिलन है नृत्य विधा
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क्या आपने कभी स्टेज पर नृत्य करने वाली नृत्यांगनाओं को देखा है, किस तरह से वे पलभर में शिव कथा को समझा देती हैं तो अगले ही पल श्री महाकालि, जगदम्बिका स्वरूप में श्रद्धालुओं को दर्शन देती हैं. नृत्य का संयोजन जिसे आधुनिक दौर में कोरियोग्राफी कहते हैं ऐसा अद्भुत होता है कि कभी नृत्यांगना चतुर्भुज स्वरूप में होती हैं, कभी राधा और कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करती हैं तो फिर कभी पाश्चात्य शैली से एक अद्भुत भाव का सृजन करती हैं।

नृत्य कोई भी हो कलाकार अपनी भावनाओं को दर्शकों के सामने अभिव्यक्त करना चाहता है. दर्शक भी बड़ी आसानी से झूमते हुए, लहराते हुए गीत में खोते हुए इन भावनाओं को समझ लेता है. यही नहीं अब तो पाश्चात्य और शास्त्रीय नृत्य के मिश्रण से नृत्य में नए आयाम गढ़े जा रहे हैं. कई बार यह नृत्य चुस्ती, फुर्ती और शरीर के संतुलन को दर्शाता है. इस नृत्य में भाव-भंगिमाओं के माध्यम से कहानी कही जाती है तो आकर्षण बिखेरा जाता है।

इसलिए कहा गया है कि नृत्य एक ऐसी सशक्त अभिव्यक्ति है जो धरी और आकाश से भी संवाद करती है। प्राचीन समय में देवता, यक्ष, किन्नर, गंधर्व, मनुष्य सभी नृत्य किया करते थे. अब आधुनिक दौर में बैले डांस, फोक डांस, ब्रेक डांस और कई तरह से नृत्य भारतीय नृत्य विधा से मिल गए हैं।

यूं भी जब भी कोई व्यक्ति खुश होता है और खुद की अभिव्यक्ति को खुद से ही साझा करना चाहता है तो वह नृत्य करता है. नृत्य शरीर और आत्मा का संयोजन है. दरअसल अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस का प्रारंभ 29 अप्रैल 1982 से माना जाता है।

दरअसल यूनेस्को ने अंतर्राष्ट्रीय थिएटर इंस्टिट्युट की इंटरनेशन डांस कमेटी को 29 अप्रैल को डांस डे के तौर पर स्थपित किया था. दरअसल यह दिन जीन जाॅर्ज नावेरे को समर्पित है, इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस के तौर पर मनाया जाता है. भारत और भारत के बाहर नृत्य लोकसंस्कृति से भी जुड़ा है. आदिवासी कई तरह के नृत्य करते हैं वहीं कालबेलिया शैली का नृत्य भी सभी को आकर्षित करता है।

इसके अलावा मोहिनी अट्टम, कथक, भरत नाट्यम जैसी नृत्य शैलियां तो नृत्य के शिखर पर स्थापित हो चुके हैं. लोकप्रिय कलाकार सुधा चंद्रन, पं. बिरजू महाराज ऐसे कलाकार हैं जो इसे नए आयामों से गढ़ रहे हैं। फिल्म की दुनिया में कोरियोग्राफर गणेशन, श्याम डावर आदि बहुत ही बेहतर कार्य कर रहे हैं. हर तरह से संगीत मानव पर अभिव्यक्ति की रस वर्षा कर रहा है जिसके माध्यम आत्मा और ईश्वर एकाकार हो गए हैं। 

'लव गडकरी'

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