विनायक की बुधवार को वंदना का महत्व
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हमारी भारतीय संस्कृति मे प्रथम पूज्य गणपति जी को माना जाता है किसी भी शुभ काम मे सबसे पहले आराधना  गणेश जी की जाती है, जो विघ्न हर्ता है और सभी कष्टों का निवारण करने वाले है. ऋद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं. और शिव गौरी के पुत्र कहलाते है. शास्त्रों के अनुसार गणेश जी का दिन बुधवार को माना जाता है.

अगर आप भी गणेश की विशेष पूजा पाठ करते है तो उनकी पूजा पाठ से जुड़ी यह खास बाते है बुधवार को गणपति की पूजा सच्चे मन से करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, और कुंडलियों मे पाए जाने वाले दोषों का भी निवारण होता है. दरअसल जिनकी कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में है तो इस दिन पूजा करने से वह शांत हो जाता है. बुधवार को सुबह स्नान कर गणेशजी के मंदिर उन्हें दूर्वा की 11 या 21 गांठ अर्पित करें. और गणेश जाप करे यह आपके लिए काफी उपयोगी रहेगा.

जैसा की आपको पता है उन्‍हें धूप, दीप और नैवेद्य लड्डू और मोदक बेहद प्रिय होते हैं. पर आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गणेश को तुलसी का प्रयोग वर्जित माना गया है.

ऐसी ही कुछ दिलचस्प कहानियां भी है गणेशजी को लेकर, गणेश और कार्तिकेय की प्रतियोगिता की कहानी जिसमे भगवान गणेश माता पिता के चक्कर लगाकर समस्त ब्रह्मांड की परिक्रमा पूर्ण कर ली. तभी से गणपति का पूजन सर्वप्रथम है.

ऐसी एक कहानी यह भी रही कि मां पार्वती नहाने गई तब शरीर के मैल से एक प्रतिमा बनाई और उसमें प्राणप्रतिष्ठा करके द्वार के सामने पहरे पर बिठा कर आदेश दिया कि किसी को भी अंदर आने ना आने दे. वह बालक पहरा देने लगा, तभी शंकर जी आ पहुंचे और अंदर जाने लगे तो बालक ने उनको रोक दिया.  जिससे रुष्‍ट होकर शिव जी ने उसका सिर काट डाला. वह बालक गणेश ही थे जिसके बाद से उनका नाम गजवदन के नाम से लोकप्रिय हुआ.

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