मशहूर मार्शल आर्ट मास्टर के पास आज जब एक लड़का जुडो सीखने की ख्वाइश लिये पहुंचा तो वो उससे जुडो कैसे सिखाये इसी पशोपेश में थे | दरसल जो लड़का आज मास्टरजी के सामने जुडो स्कूल में प्रवेश पाना चाहता था, वो एक दुर्घटना में अपना बांया हाथ गँवा चूका था, पर जुडो सीखने के प्रति उसकी गहरी ललक देखकर आखिरकार मास्टरजी ने उससे जुडो में प्रवेश दे दिया |
हालाँकि मास्टरजी को अन्य शिक्षिकों ने इस निर्णय के जोखिमो के प्रति आगाह किया था, पर मास्टरजी ने उनसब की बात ताक पर रख दी | मास्टरजी ने उससे अन्य बच्चो के साथ जुडो सीखना प्रारम्भ किया और एक किक सीखाई और इसका निरंतर अभ्यास करने को कहा|
हफ्ते बीते, महिने बीते, साल होने को आया पर गुरूजी ने बस एक किक के अलावा दूसरा कोई दाव नही सिखाया| लड़के ने सोचा शायद मेरा एक हाथ नहीं है, इसलिए मास्टर एक ही किक का अभ्यास करवा रहे है| अपने मन में चल रहे इस उहापोह का समाधान मास्टरजी से जानने की जिज्ञासा में लड़का गुरूजी से मिलने पहुंचा|
उसने मास्टर से कहा - मास्टरजी आप अन्य लड़कों को नई-नई तकनीकी सिखा रहे हैं पर मैं अभी भी बस वही एक किक मारने का अभ्यास कर रहा हूं । क्या मुझे कोई अन्य चीजें नहीं सीखना चाहिए । मास्टर ने कहा - तुम्हें अभी सिर्फ एक किक का ही अभ्यास करना है ।अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा है तो अभ्यास जारी रखो।
लड़के ने मास्टर की आज्ञा का पालन करते हुए , बिना किसी और प्रश्न किए हुए किक का अभ्यास जारी रखा । 6 साल तक वह उसी किक का अभ्यास करता रहा । सभी को जुड़ो सीखते हुए 6 साल हो चुके थे , तब मास्टर ने सभी शिष्यों को एक साथ बुलाया और कहा कि मुझे आपको जो ज्ञान देना था , वह मैं दे चुका हूं ।अब गुरुकुल की परंपरा के अनुसार सबसे श्रेष्ठ शिष्य का चुनाव एक प्रतियोगिता के माध्यम से किया जाएगा और जो वह प्रतियोगिता को जीतेगा उस शिष्य को जुडो प्रशिक्षक का पद ,सम्मान और वेतन दिया जाएगा | साथ ही रहने के लिये घर, गाड़ी (बग्गी ),और राजकोष से 5 वर्षो के लिये अन्न-भोज्य पदार्थो की आपूर्ति की जाएगी |
मास्टरजी का ये प्रस्ताव सुन सभी शिष्य बड़ी जोर शोर से अपनी अपनी तेयारी में जुट गए| प्रतियोगिता शुरु हुई और मास्टर ने लड़के को उसके पहले मैच में हिस्सा लेने के लिए आवाज दि| लड़के ने लड़ना शुरू किया और सबको आश्चर्यचकित करते हुए उसने अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया, आरंभिक मैचों में जीत दर्ज की और इस तरह वो अगले मैच के लिये प्रवेश पात्रता हासिल की |
दूसरे मैच में विरोधी कहीं अधिक ताकतवर और अनुभवी थे पर लड़के की फुर्ती और सटीकता के आगे कोई टिक नहीं पाया, और इस तरह मैच जीत कर, अब वो अंतिम मैच में प्रवेश कर गया |
अब निर्णायक मैच में लड़के का सामना दुरंधर जुडो खिलाडी से हुआ, दोनों में घमासान मैच हुआ था , कोई किसी से कम नहीं, हर वार का उतनी ही जल्दी और सटीकता से प्रहार ने मैच को रोमांचक बना दिया| एक पल के लिये तो रेफरी को ये लगा की मैच में दोनों प्रतिद्वन्दी को ही विजेता घोषित करना पड़ेगा पर इस अपील को मास्टरजी ने ठुकरा दिया | अब मैच भीषण द्वन्द में परिवर्तित हो चूका था, और प्रतिद्वंदी खिलाडी लड़के पर भारी पड़ने लगा, जैसे तैसे लड़का अपने आप को बचाये फिर भी लड़ता रहा |
इसी बीच स्थिति को देखते हुए रेफरी ने मैच को बीच में रोक कर विरोधी को विजेता घोषित करने का प्रस्ताव रखा । लेकिन तभी मास्टर ने रेफरी को रोकते हुए कहा - कि नहीं मैच पूरा चलेगा | रेफरी के इस वक्तव्य से विरोधी खिलाडी आत्मविश्वास से भरा गया । और अब वह लड़के को कम आंकने लगा था, और इसीलिए उसने एक बड़ी गलती कर दी उसने अपना कवच छोड़ दिया और द्वन्द में कूद पड़ा।
लड़के ने इसका फायदा उठाते हुए, एक किक अपनी पूरी ताकत और सटीकता के साथ विरोधी के ऊपर जड़ दिया । उस किक में इतनी ताकत थी, कि विरोधी वही बेहोश हो गया,और लड़का मैच का विजेता बन जुडो प्रशिक्षक के लिये चुना गया|
एक अपंग की सर्वांग बलशाली खिलाडी पर हुई जीत से आज पूरा नगर चकित और विस्मित था| लड़के को विजय पदक देते हुए राजा ने उसकी जीत का आधार जानना चाहा, तो लड़के ने मास्टरजी की तरफ इशारा किया |
मास्टरजी ने अपने शिष्य की अविश्वसनीय सफलता के लिये डबडबाई आँखों से राजा और नगरवासियों के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा -
लड़के ने अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बना ली है ,इसने जूड़ो में सबसे कठिन किक का इतना अभ्यास किया है कि शायद ही दुनिया में कोई और यह किक को इतनी कुशलता, सटीकता और ताकत से कर पाए ! और दूसरा यह कि इस किक से बचने का एक ही उपाय है , कि सामने वाला विरोधी इसके बाएँ हाथ को पकड़कर ऐसे जमीन पर गिरा दें पर लड़के का बाएँ हाथ तो है ही नहीं। लड़का इस बात को अच्छी तरह समझ चुका था, कि उसकी सबसे बड़ी कमजोरी ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है और फिर जो हुआ वो आप सब ने देखा।