नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुरू की गई स्वर्ण मौद्रीकरण योजना को देश में अच्छी प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिल रही है. गौरतलब है कि सरकार के द्वारा इस योजना की शुरुआत देश के मंदिरो में पड़े 660 खरब रुपये के सोने को उपयोग में लाने के लिए की गई थी. लेकिन इस मामले में यह देखने को मिल रहा है कि मंदिर इस तरफ अपना रुझान नहीं दिखा रहे है. कई मंदिर ऐसे भी सामने आये है जो सरकार की इस "गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम" के तहत निवेश को लेकर तैयार भी है लेकिन उनके सामने सोने के आभूषणो को गलाने की बात अड़चन पैदा कर रही है.
जी हाँ. इस मामले में मंदिरों का कहना है कि यहाँ से निवेश किये गए सोने के आभूषणों को सरकार के द्वारा गलाया जाना है जोकि हमे मंजूर नहीं है. इस मामले में ही यह बात भी सामने आ रही है कि कई ऐसे प्रमुख मंदिर है जोकि यहाँ निवेश करने को लेकर विचार कर रहे है.
जबकि कुछ मंदिर ऐसे भी है जिनके कुछ मामले कोर्ट में चल रहे है और इस कारण वे निवेश नहीं कर पा रहे है. गौरतलब है कि सरकार इस बेकार पड़े सोने का उपयोग कर सोने का आयात कम करना चाहती है. सरकार इस योजना के तहत मंदिरों को नियमित ब्याज के साथ ही अतिरिक्त लाभ देने के बारे में भी बात कर रही है लेकिन इसके लिए सोना गलाने का भी प्रावधान है. जिसके लिए मंदिर तैयार नही दिख रहे है.