असहिष्णुता के दांव से जमकर खेला जा रहा राजनीति का आईपीएल
असहिष्णुता के दांव से जमकर खेला जा रहा राजनीति का आईपीएल
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अमूमन भारत क्रिकेट के आयोजनों की धरती के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय खेल जगत में जाना जाता है। यहां टी - 20, टेस्ट क्रिकेट, एकदिवसीय, एकादशीय, विश्वकप के आयोजन होते रहते हैं मगर अब तो क्रिकेट में नया फाॅर्मूला आ गया जिसे आईपीएल के नाम से जाना जाता है। यह आईपीएल फास्ट क्रिकेट के रोमांच को बिखेरता है। दर्शक उत्तेजित होते हैं और माहौल जोशीला हो जाता है। अब ऐसा ही फार्मूला भारतीय राजनीति में अपनाया जा रहा है। दरअसल राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले भारतीय लगता है भाजपा द्वारा चुनाव में उपयोग की जाने वाली मोदी लहर, बीफ मसले से ऊब से गए थे।

जिसके कारण अब राजनीति को सत्तापक्ष और विरोधी पक्ष ने नया स्वरूप दे दिया। हां, सरकारों ने इन मसलों पर खुद को पहले दूर कर दिया है जिससे इनकी आंच उनकी कुर्सी तक न पहुंचे। मगर राजनीति का यह खेल इंडियन पोलिटिकल लीग लगातार जारी है। एक दल गेंद डालता है तो सत्तापक्ष में बैठे समर्थक उस गेंद पर सिक्सर लगाने का प्रयास करते हैं। फिर अगली गेंद पर विपक्ष सत्तापक्ष के समर्थकों की गिल्लियां उड़ाने के लिए आंदोलन की रूपरेखा बनाता है।

उत्तरप्रदेश के दादरी कांड और बीफ मामले के सामने आने के बाद देशभर में बीफ मसले से सत्ता की रोटियां सिकती रहीं। इस मामले को लेकर साहित्यकारों ने विरोध किया और वे मैदान में उतर आए। जब साहित्यकारों द्वारा लाई गई क्रांति से आंधी नहीं चली तो विरोधी खेमा खुद ही गांधी के बताए मार्ग पर चल पड़ा। शांति मार्च निकालकर देश में असहिष्णु माहौल की निंदा की गई। मगर इसके बाद जब देश की लोकप्रिय हस्ति और सिने अभिनेता शाहरूख खान ने देश में उपजे असहिष्णु माहौल पर कुछ कहा तो उनकी नागरिकता पर ही सवाल खड़े कर दिए गए। 

कथित नेताओं और हिंदूवाद के कथित ठेकेदारों द्वारा उन्हें पाकिस्तान जाने का रास्ता दिखा दिया। अब देखिए मैच में दर्शक बना बैठा हाफिज सईद। जिसे भारत पाकिस्तान से मांग रहा है। भारत के हालातों पर मज़े लूट रहा है। उसे भारत के अल्पसंख्यकों और कश्मीरियों को बरगलाने का मौका हाथ लग गया है। भारत में असहिष्णु माहौल पैदा होने पर उसने विरोध करने वालों को पाकिस्तान का ही न्यौता दे डाला।

अब ऐसा आतंकी जिसे भारत पाकिस्तान से मांग रहा है वह भारत विरोधी बातें कर मजे लूट रहा है। असहिष्णु माहौल को लेकर कलाकारों को तक सरकार के समर्थन में मार्च निकालना पड़ा। हालांकि कलाकारों ने अभिनेता शाहरूख खान पर की गई टिप्पणियों का विरोध किया जिसमें कहा गया था कि शाहरूख पाकिस्तानी एजेंट हैं और यदि उन्हें भारत में असहिष्णु माहौल नज़र आता है तो फिर उन्हें पाकिस्तान जाना चाहिए।

आखिर देश के हालातों पर चिंता जताने का अधिकार प्रत्येक भारतीय को है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को प्रदर्शित करता है। मगर लोकप्रिय हस्तियों के सद्भाषणों पर उन्हें पाकिस्तानी कहा जाना उनके साथ असंवैधानिक व्यवहार करने जैसा है। ऐसे में स्थिति और बिगड़ सकती है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस देश में अल्पसंख्यक कहे जाने वाले मुसलमानों की जनसंख्या पाकिस्तान और ऐसे अन्य देशों के मुस्लिमों की जनसंख्या से अधिक है।

ये मुसलमान भारत में एकनिष्ठता जताए रहते हैं। यदि अल्पसंख्कों को पाकिस्तानी कहा जाएगा तो फिर देश में वैमनस्य फैल सकता है। यही नहीं इस तरह के माहौल से देश की संप्रभुता भी खतरे में पड़ती नज़र आ रही है। आखिर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ को भारत के अंदरूनी मसलों पर बोलने का अधिकार कैसे मिल गया।

यह तो भारत की संप्रभुता पर ऐसे देश का हमला है जो भारत की सीमाओं पर आतंकी गतिविधियों से विध्वंस फैलाता रहा है। बहरहाल नेताओं को अपने वक्तव्य देने से पहले काफी विचार करना चाहिए। दरअसल अब देश का मुस्लिम और गैर मुस्लिम वर्ग यह समझने लगा है कि धर्म और संप्रदाय की आग में घी डालडालकर नेताओं द्वारा अपनी रोटियां सेंकने का प्रयास किया जाता है। जो कि समाज और देश के विकास को काफी पीछे धकेल देती है। अब तो मुस्लिम युवा भी अपने एक हाथ में किताब और दूसरे हाथ में कंप्युटर का माउस रखना पसंद करते हैं। 

'लव गडकरी'

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