बुलंदियों की दीवार छुएगा पैरालम्पिक गेम्स में भारत का प्रदर्शन
बुलंदियों की दीवार छुएगा पैरालम्पिक गेम्स में भारत का प्रदर्शन
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अभी अभी मिली खबर के मुताबिक पैरालम्पिक खेल (Paralympic Games) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है. इसकी शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध में घायल हुए सैनिकों को फिर से मुख्यधारा में लाने के मकसद से की गई थी. पैरालंपिक गेम्स में विभिन्न रूप से दिव्यांग खिलाड़ी भाग लेते हैं. सभी पैरालम्पिक खेल अंतरराष्ट्रीय पैरालैम्पिक कमेटी (आईपीसी) द्वारा शासित होते हैं. असुविधाजनक मांसपेशियों की शक्ति (जैसे पैरापेलेगिया और क्वाड्रिप्लेजीया, मांसपेशी डिस्ट्रॉफी, पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम, स्पाइना बिफिडा), आंदोलन की निष्क्रिय सीमा, अंग की कमी (उदाहरण के लिए विच्छेदन या डिस्मेलिया), पैर लंबाई अंतर, लघु स्तर, हाइपरटोनिया, एटैक्सिया, एथेटोसिस, दृष्टि विकार और बौद्धिक हानि आदि से ग्रस्त व्यक्ति इस विश्व स्तरीय प्रतियोगिता का हिस्सा होते हैं.

भारत के पैरालम्पिक सितारे: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत में सबसे बड़ा खेल क्रिकेट है, लेकिन तमाम अन्य खेलों में भी भारतीय खिलाड़ियों द्वारा परचम लहराया जा रहा है. पैरालम्पिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के निरंतर शानदार प्रदर्शन और देश के लिए पदकों कि झड़ी लगा देने के बाद अब आने वाले अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में कई बेहतर संभावनाओं की उम्मीद जताई जाने लगी है. दिव्यांग खिलाड़ी भी पूरे जोश और जज्बे के साथ पदक तालिका में अपना और अपने देश का नाम दर्ज कराने के लिए वर्षों की मेहनत झोंकते हैं.

जंहा पैरा-बैडमिंटन एथलीट मानसी जोशी ने बीडब्ल्यूएफ पैरा-बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने पर ट्वीट किया था, "मैंने इसे अर्जित किया है. इसके लिए हर क्षण प्रयास किया." मानसी का अगला बड़ा लक्ष्य टोक्यो 2020 पैरालंपिक्स है. वहीं, राजीव गांधी खेल रत्न के लिए नोमिनेट होने के बाद देवेंद्र झाझरिया ने कहा था, “सबसे पहले मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहूँगा, जिन्होंने मेरी यात्रा में मेरा समर्थन किया है. इस तरह के सम्मान के लिए नामांकित होना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन यह 12 साल पहले आना चाहिए था. मैं 12 साल पहले इस पुरस्कार के लिए नामांकित होने पर और अधिक खुश और प्रेरित होता, जब मैंने विश्व रिकॉर्ड प्रदर्शन के साथ अपना पहला पैरालिंपिक स्वर्ण जीता था. लेकिन जैसा कि कहा जाता है अभी बहुत देर नहीं हुई है.”

भारत का पैरालम्पिक खेलों में भविष्य: शुरुआती दौर में पैरा-खिलाड़ियों को उचित सम्मान व आवश्यक सुविधाएं ना मिलने से खिलाड़ियों के लिए मुश्किल था कि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि हासिल कर पायें, लेकिन लगातार कड़ी मेहनत और लगन के परिणामस्वरूप उन्होंने दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया. यही कारण है कि बाकी प्रतिभाशाली दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए इस विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने के रास्ते खुल गए हैं.

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