नई दिल्ली - इन दिनों देश के हालात ठीक नहीं है.उधर पाकिस्तान की सरहद पर गोलीबारी जारी है तो, इधर चीन के साथ भी तल्खियां बढ़ी है. ऐसे हालातों में सरकार ने 200 लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया है.लेकिन सरकार ने विदेशी निर्माताओं को स्पष्ट कर दिया है कि विमान मेड इन इंडिया ही होने चाहिए.
एयरफोर्स के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में खरीद और उत्पादन को लेकर तेजी से निर्णय लेना चाहती है.इसलिए रक्षाबलों के आधुनिकीकरण और लड़ाकू क्षमता में तेजी से विस्तार के लिए प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं.जिनमें मेड इन इण्डिया की शर्त प्रमुख है. बता दें कि देश ने अब तक अधिकतर लड़ाकू विमान रूस से खरीदे हैं. जबकि मिग विमानों की दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है. हालाँकि 36 राफेल विमानों के लिए हुई डील इस दिशा में एक बड़ा कदम है. लेकिन अब सरकार सिंगल इंजन वाले 200 लड़ाकू विमानों की खरीद की तैयारी कर रही है.
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चूँकि मोदी सरकार का जोर मेक इन इंडिया पर है.इसलिए विदेशी कंपनियों के सामने शर्त ये होगी कि विमान भारत में बने. बता दें कि मोदी सरकार की इच्छा है कि विदेशों से केवल विमान खरीदें ही नहीं जाएं बल्कि विदेशी कंपनी एक भारतीय साझेदार के साथ मिलकर देश में ही इसका निर्माण करे. इसका उद्देश्य एकतरफ देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करना तो दूसरी तरफ देश में लड़ाकू विमान निर्माण के उद्योग को व्यापक पैमाने पर स्थापित करना भी है.