भारतीय चायवाली के दीवाने है विदेशी, जीत चुकी है 'बिज़नेस वुमेन ऑफ द ईयर' का खिताब
भारतीय चायवाली के दीवाने है विदेशी, जीत चुकी है 'बिज़नेस वुमेन ऑफ द ईयर' का खिताब
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ये कहानी नहीं, बल्कि एक महिला की जिंदगी का ऐसा सच है, जिसे आपने शायद ही सुना होगा जो एक चायवाली के साथ-साथ एक इंडियन वुमन लॉयर भी है और जिसने अपना नाम ऑस्ट्रेलिया की 'बिजनेसवुमन ऑफ द ईयर' के तौर पर दर्ज कराया है |

सच ही कहा है किसी ने की दुनिया का कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है,क्योकि कोई भी काम पूरी मेनहत,लगन और ईमानदारी से किया जाये तो उस काम में सफलता ज़रूर मिलती है,

हम बात कर रहे है पेशे से वकील उपमा विर्दी की,जो मूलतः चंडीगढ़ की रहने वाली है,दरसल ये वकालत की पढ़ाई करने ऑस्ट्रेलिया गई थी लेकिन वहाँ जाकर ये मशहूर हुई भी तो एक चायवाली के नाम से,और आज पूरा ऑस्ट्रेलिया इनकी चाय का मुरीद हो गया है।

उपमा बताती है कि मेरे दादाजी का चंडीगढ़ में आयुर्वेदिक दवाइयों का बिज़नेस था और यही पर दादाजी ने मेरा परिचय आयुर्वेदिक चाय से करवाया, लेकिन जब मैं अपनी वकालत कि पढ़ाई करने ऑस्ट्रेलिया गई तो वहाँ मुझे घर के बनी चाय की बहुत याद आने क्योक़ि यहाँ मुझे ऐसी जगह कम ही मिलीं, जहां अच्छी चाय मिलती हो,क्योकि हमारे देश कि 'चाय का स्वाद दुनिया के बाकी देशों की चाय से बिलकुल अलग है,और हम लोग तो चाय को स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें इलायची, लौंग सहित ना जाने कितने प्रकार की बूटियों का इस्तेमाल करते हैं'।

फिर क्या था यहाँ आकर मैंने चाय के बिज़नेस के बारे में सोचा और मसाला चाय को पूरे दुनिया में पहचान दिलाने के लिए अपनी नौकरी से बचे समय में चाय बनाने लगी और उस चाय को दफ्तरों, रेस्टोरेंट, शॉपिंग मॉल्स, कैफे में पहुचाने लगी।

उपमा कहती हैं कि शुरू में तो उनके माता-पिता उनके इस फैसले के खिलाफ थे,उनका कहना था कि जब चाय ही बेचना था तो ऑस्ट्रेलिया जाकर वकील कि पढ़ाई करने की क्या ज़रूरत थी.

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