बर्फ के रखवालों की बाजीगरी है विषम परिस्थितियों में रहना
बर्फ के रखवालों की बाजीगरी है विषम परिस्थितियों में रहना
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कश्मीर जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है। जहां की डल झील पर बहते शिकारे पर्यटकों को कौतूहल के साथ आकर्षित करते हैं। चिनाब नदी के किनारे लगे पेड़ों की पत्तियां सर्दियों और हर मौसम में अपनी सुंदरता बिखेरती है। जहां घुटनों के नीचे तक जमा बर्फ पर्यटकों को लुभाती है और उनके लिए आनंद का अवसर होती है। जहां की वादियों में प्रेम का संदेश गूंजता है। मगर अब वहां पर शिकारों में बैठने वाले कम ही होते हैं। हर दम घाटी में मोर्टार, एके - 47 से निकलने वाली गोलियों का आवाज़ गूंजती है। अभी तक आपने पढ़ा या सुना होगा कि हम तो दीपावली पर पटाखे चलाकर खुशियां मनाते हैं लेकिन सीमा क्षेत्र पर तैनात सैनिक अपनी जान की बाजी लगाकर गोलियों और बमों से दीपावली मनाते हैं।

क्या इसकी गहराई का अहसास आपको है। कि वाकई सीमा पर जब दनादन फायरिंग होती है तो वह दृश्य रौंगटे खड़े कर देने वाला होता है। मगर इसके बाद भी भारत के रणबांकुरे डंटे रहते हैं। बंदूक से निकली एक गोली भी उनके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। फिर वह गोली उन्हें सीधे न लगे और किसी तत्व से टकराए तो भी वह उनके लिए मुश्किल कर सकती है। अंधेरे में डंटे रहने का जज़्बा और विषम तापमान में रहने की आदत सैनिकों के जीवन को अतुलनीय बना देती है।

ऐसा ही एक समय सैनिकों के बीच गुज़ारने को मिला तो उनके जैसा जटिल जीवन कहीं देखने को नहीं मिला। जबरदस्त अनुशासन और खुद से ज़्यादा पर्यटकों और अपने बीच मौजूद लोगों की चिंता करने वाले सैनिक बाहर से जितने सख्त होते हैं वे अंदर से भी उतने ही नरम होते हैं। मगर उनके हाथ के बने पकवान और मीठा हलवा बेहद ज़ायकेदार होता है। उसका स्वाद भूले नहीं भूलता।

हां, सैनिक अपने अनुशासन और  इंटेलिजेंसी के लिए जाने जाते हैं। पोस्ट पर हर परिस्थिति का सामना करना उन्हें बखूबी आता है। दिन में 5 बार उंचे पहाड़ से चढ़ना और उतरना उनके लिए एक आम बात होती है। हम बात कर रहे हैं जम्मू कश्मीर के डोडा क्षेत्र की यहां से कुछ ही दूरी पर चीन से सटी सीमा है मगर यहां पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का खौफ अधिक है। इसके बीच भी सैनिक मुस्तैदी से डटे रहते हैं। 

हालात ये हैं कि शाम करीब 7 बजे बाद यहां का जीवन बेहद सूना हो जाता है। अंधेरा होने पर यहां कोई नज़र नहीं आता। रहते हैं तो बस सेना के जवान और अवसर तलाशने वाले आतंकी। आतंकियों को रोकने के लिए सेना के जवान हर मोर्चे पर खड़े रहते हैं। कैसी भी परिस्थितियां हों वे इनसे दौ चार होते हैं। अंधेरे में सेना के एक कैंप में हमला होने पर दूसरी पोस्ट पर डटे जवान अंधेरे में ही अपने -  अपने क्षेत्र की सुरक्षा करते हैं।

जब इन जवानों को मदद की जरूरत होती है तो जवानों को मदद दी जाती है। कई आतंकियों को सेना के जवानों ने पहाड़ों पर ही घेरकर मार गिराया है। सर्दियों में यहां बर्फ जमकर गिरती है। ऐसे में यहां का तापमान बेहद कम हो जाता है।  हालात ये रहते हैं कि सैनिकों के लिए पहाड़ों पर रखी टंकियों से आता पानी ंबेहद ठंडा हो जाता है कभी कभी तो यह पानी जम भी जाता है।

ऐसे में सैनिकों को कई तरह के जतन करने होते हैं। पानी गर्म करने के लिए हिटर रखना हर वक्त मुनासिब नहीं होता है। कई बार तो सैनिक नहा तक नहीं पाते हैं। यही हाल लाईन आॅफ कंट्रोल पर तैनात सैन्यअधिकारियों और कर्मचारियों का भी है। सर्द मौमस में बर्फीली चोटियों पर लड़ते समय यदि अपना कोई साथी घायल हो जाए तो उसे नीचे उतारने में कई सैनिकों को प्रयास करने होते हैं।

बर्फ की ठंडी सतह पर घायल सैनिक को घसीटकर मगर आरामदायक स्थिति में सैनिक उस स्थल तक पहुंचाते हैं दरअसल घायल सैनिक को पहाड़ पर उठाकर और उतरना बेहद मुश्किल होता है ऐसे में बर्फ उनके लिए नैसर्गिक तौर पर मदद करती है। जहां हेलिकाॅप्टर की आवाजाही सर्द मौसम में ठीक तरह से हो सके। ऐसे में अपने साथियों की और अपनी जान का ध्यान रखना और फिर आगे बढ़कर लड़ाई का मोर्चा संभालना बहुत कठिन होता है लेकिन सैनिक इस कठिन कार्य को बखूबी कर लेते हैं। सीमा पर गोलीबारी इस तरह से होती है कि आकाश थर्राने लगता है और धरती चिंगारियां उगलने लगती हैं।

बंदूक से निकली गोलियां ठीक उसी तरह से आवाज़ करती हैं जैसे कोई लड़ चलाकर दीपावली का जश्न मना रहा हो। मोर्टार और मिसाईल्स की आवाज़ें भी ंबेहद घबरा देने वाली होती हैं। अंधेरे में दूर स्थित पोस्ट पर आतंकियों की मौजूदगी को लांचर से एक विशेष प्रकार की लाईट छोड़कर तलाशा जाता है। यह लाईट बिल्कुल उसी तरह छोड़ी जाती है जैसे दीपावली के दौरान छोड़ा जाने वाला कोई राॅकेट या कोई डबल साउंड बम फोड़ा जाता है।  

मगर इसके बाद भी सैनिकों को ठीक तरीके से दुश्मन का पता लगाना मुश्किल होता है। ऐसे में भी सैनिक मुस्तैदी से डंटे रहते हैं। आखिर उनकी हलचल को आतंकी और पाकिस्तानी सेना के जवान भी देखते हैं और कोई भी गोली भारतीय सेना के जवानों के लिए उनकी जान जोखिम में डाल सकती है। मगर बर्फ के रखवाले अपनी जान की परवाह न करते हुए दुर्गम हिमालयी क्षेत्र में भारतीय सेना के अजेय होने का परिचय देते हैं। 

'लव गडकरी'

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