भंग हुई शिव समाधि, मौत के तांडव से एक नए समर की हुई शुरूआत
भंग हुई शिव समाधि, मौत के तांडव से एक नए समर की हुई शुरूआत
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आपने यह गीत कंधों से कंधे मिलते हैं, कदमो से कदम मिलते हैं, जब हम चलते हैं तो दिल दुश्मन के हिलते हैं, सुना होगा। इसकी वास्तविकता का असर आपने अभी तक फिल्मों और भारत - पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों की खबरों में देखा होगा। लेकिन इन पंक्तियों को असलियत की कसौटी पर खरे उतरते हुए विश्व ने हाल ही में देखा है। वह देश जिसके बारे में कहा जाता रहा कि यह तो शांति का मसीहा है। आतंक के नाम पर यहां के सियासतदार धमाके के बाद बस बयानबाजी करते नज़र आते हैं लेकिन हाल ही में भारतीय सेना के जवानों ने जिस कदर म्यांमार में जाकर दुश्मन पर मौत का तांडव मचाया। उससे लगा जैसे साक्षात् शिव का तीसरा नेत्र ही खुल गया हो।

कभी जम्मू की चैकियों पर तो कभी चीन की सीमा पर और कभी मणिपुर में हमारे जवान शहीद होते रहे। हर बार भारत के किसी गांव में काॅफिन भेज दिया जाता और माहौल में मातमी धुन के साथ सन्नाटा पसर जाता। कारगिल के प्रथम शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के लिए भारत को अभी भी न्याय की दरकार है लेकिन, इन सबके बीच शांति के इस मसीहा ने आतंकवाद का समर्थन करने वालों को थर्रा कर रख दिया है। भारत द्वारा हाल ही में म्यांमार की सीमा में घुसकर जिस तरह से उत्तरपूर्व में अशांति मचाने वाले उग्रवादियों को मार गिराया गया है उससे पाकिस्तान जैसे देश के हौंसले कुछ पस्त होते नज़र आ रहे हैं। अभी तक माना जा रहा था कि भारत किसी भी देश की सीमा में न घुसने की अपनी नीति पर कायम है, जिस कारण यह देश विदेशी विद्रोहियों के लिए आसान निशाना है।

लेकिन उल्फा समर्थित आतंकवाद को जिस तरह से कुचला गया है वह एक सराहनीय कदम है। जब विभिन्न रियासतों का लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत की संघीय व्यवस्था के तहत विलय किया था। उस दौर से कुछ समूहों ने अपने क्षेत्रों के विलय को दिल से स्वीकार नहीं किया। इन गुटों का मानना था कि भारत में उनका विलय जबरन करवाया गया है। वे अपने लिए एक अलग देश की मांग करने लगे। पृथम बोडो लैंड की मांग उसी की उपज है। इस तरह की मान्यता के साथ देश के पूर्वोत्तर के असम, मणिपुर, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम सिक्किम समेत अन्य क्षेत्रों में आज भी इस तरह की कामना उग्रवाद के रूप में देखी जा रही है। प्रकृति द्वारा मुक्त रूप में दिए गए सौंदर्य के बाद भी भारत मां का यह क्षेत्र विकास की बाट जोह रहा है।

यह क्षेत्र भारत से अलग न होकर भी भारत से अलग माना जा रहा है। ऐसे में यहां पनप रही माओवाद की आंधी को भारतीय सेना के इसी तरह के कदमों से समेटा जा सकता है। भारतीय सेना द्वारा चरमपंथियों के म्यांमार में दो कैंप ध्वस्त कर करीब 15 से अधिक उग्रवादियों को मार गिराया गया। इसे ऐसे विश्व समुदाय के लिए एक सबक माना जा रहा है जो अपनी धरती पर भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रश्रय देते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत सीमा पार की ओर से होने वाली किसी भी तरह की गैर जरूरी सैन्य गतिविधि पर अंकुश लगाने की बात पहले भी कर चुका है ऐसे में पाकिस्तान के लिए आने वाले दिन मुश्किलभरे हो सकते हैं, हालांकि माओवाद से लड़ना और इस्लामिक आतंकवाद से लड़ना दोनों अलग - अलग बातें हैं लेकिन अलग - अलग होते हुए भी उग्रवाद और भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य की सीमाओं की रक्षा के लिहाज से दोनों का ही खात्मा करना बेहद आवश्यक माना जा रहा है।

 

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