काले धन से निपटने के लिए भारत ने विकसित किये प्रोटोकॉल
काले धन से निपटने के लिए भारत ने विकसित किये प्रोटोकॉल
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नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा है कि कई देशों के साथ कर सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान संबंधित समझौता होने, अमेरिका के साथ विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (FATCA) पर हस्ताक्षर होने और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के साथ मिलकर काम शुरू करने के साथ ही भारत ने विदेशी खातों में मौजूद काले धन से निपटने के लिए कुछ साझा प्रोटोकॉल विकसित किए हैं. यहां संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित 'विकास के लिए वित्तीयन पर तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन' में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे सिन्हा ने कहा, "जहां तक भारत का सवाल है, हमने स्पष्ट कर दिया है कि करदाताओं ने यदि विदेशों में ऐसे धन छुपा कर रखे हैं या उनकी ऐसी विदेशी आय है, जिस पर कर नहीं चुकाया गया है, तो उन्हें और अधिक नहीं छुपाया जा सकेगा.

उन्होंने कहा, यदि करदाता अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं करते, तो सरकार उनपर 120 फीसदी जुर्माना लगा सकती है और उन्हें सश्रम कारावास भी हो सकता है. उन्होंने कहा, यदि वे देश छोड़ देते हैं, तो हम देश में मौजूद उनकी संपत्ति जब्त कर सकते हैं. सिन्हा ने कहा, देश में कर वसूली सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का 10 प्रतिशत है, जबकि ओईसीडी में यह 34.6 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, यह गंभीर समस्या है. कर वसूली बढ़ाने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा. अन्यथा हम वह काम नहीं कर पाएंगे, जिसके लिए हमें चुना जाता है. भारत और अमेरिका ने इस महीने के शुरू में एफएटीसीए लागू करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है. इससे दोनों देशों में कर सूचनाओं का आदान प्रदान बढ़ेगा.

काला धन अधिनियम के तहत विदेशों में जमा अघोषित संपत्ति पर 30 फीसदी कर और 30 फीसदी जुर्माना लगाया गया है. सितंबर अंत तक इन संपत्तियों का यदि खुलासा नहीं किया जाता है, तो इस पर 30 फीसदी कर के साथ 90 फीसदी जुर्माना लगाया जाएगा, जिससे कुल प्रभावी जुर्माना 120 फीसदी हो जाएगा. ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी की 2014 की एक रपट के मुताबिक भारत की 95 अरब डॉलर संपत्ति विदेश में गुप्त रूप से जमा है और यह चीन (250 अरब डॉलर) तथा रूस (123 अरब डॉलर) के बाद तीसरे स्थान पर है. एक अनाधिकारिक अनुमान के मुताबिक, देश की 466 अरब डॉलर से 1,400 अरब डॉलर तक की संपत्ति विदेशों में हो सकती है.

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