विश्व ने माना सदियों से झेल रहा भारत आतंक का दंश
विश्व ने माना सदियों से झेल रहा भारत आतंक का दंश
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भारत की यह भूमि सदियों से ही विदेशियों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है मगर आधुनिक भारत के इस दौर में भारत को नई चुनौती का सामना करना पड़ा है। जी हां, आतंकवाद का दंश भारत सदियों से झेलता आ रहा है। आतंकी देश के भीड़भाड़ भरे कोने को अपना निशाना बनाते हैं और हंसते - खेलते नागरिकों को लंबा दर्द देकर चले जाते हैं।

आतंक का यह दर्द भारत को कहीं नक्सलवाद के तौर पर मिला तो कहीं माओवाद के तौर पर तो आॅपरेशन ब्लू स्टार के साथ अलग खालिस्ताचुनौती इस्लामिक आतंकवाद से ही मिल रही न की मांग करने के साथ सिख प्रेरित आतंकवाद भारत के लिए चुनौती बना। मगर भारत को सबसे बड़ी है। यह आतंकवाद विश्वभर में इस तरह से फैल गया है कि कि विश्व के कई बड़े देश इससे प्रभावित हो रहे हैं। भारत में इसकी शुरूआत पाकिस्तान द्वारा काश्मीर को हथियाने के लिए कश्मीर घाटी में आतंकी घुसपैठों को अंजाम देने के साथ हुई।

आतंकी कश्मीर में गोलियां बरसाते और शांत धरती को अशांत कर देते लेकिन धीरे धीरे इस आतंक ने भारत की धरती पर अपना साम्राज्य फैलाने का प्रयास किया। ऐसे में यह कभी स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट के तौर पर सामने आया तो कहीं मुंबई और दिल्ली में आतंकी हमलों और वारदातों के तौर पर सामने आया। दाऊद इब्राहिम द्वारा वर्ष 1992 में हुए सांप्रदायिक दंगों का विरोध करने के लिए किए गए 1993 बम धमाकों के तौर पर यह और गहरा गया।

हालांकि इस धमाके के बाद दाऊद एक अंतर्राष्ट्रीय आतंकी और भारत का मोस्टवांटेड अंडरवल्र्ड सरगना हो गया लेकिन बाद में यह और पनपा और फिर 26 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेन में बम धमाका हुआ। इसके पहले भी आतंकी दहशत फैलाई गई लेकिन इस हमले ने मुंबई की रफ्तार पर वार किया। ऐसे में देश दहल उठा। आतंकियों ने भारत की व्यवस्थापिका संसद पर भी कुठाराघात किया। यहां हमले की साजिश रची। बंगलुरू में धमाके किए। फिर मुंबई में 26/11 के हमले से भारत के पर्यटन को प्रभावित किया।

आतंकियों ने इस बार समुद्र का रास्ता खोला और नए तरह के आतंक को फैलाया। मगर विश्व को इन सभी घटनाओं से सरोकार नहीं था। जब अमेरिका में 9/11 की घटना  हुई और आईएसआईएस ने योरप के राष्ट्रों को दबाने की मंशा से आतंकी खेल प्रारंभ किया तब दुनिया भारत की सुनने लगी और विश्व मंच पर भारत के साथ हाथ मिलाते हुए यह माना कि आतंक का खात्मा आवश्यक है। 

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