5000 फुट से भी अधिक ऊॅंचाई वाले दुर्गम क्षेत्रों में रहकर बर्फ के बीच सरहद की रक्षा करने वाले सैन्य जवान। जब छुट्टियों पर घर लौटते हैं और उनका देश में यहां - वहां, बाजारों में जाना होता है तो अपने बीच एक अलग दुनिया पाकर कई बार वे इस दुनिया को सहजता से नहीं ले पाते। कई बार पुलिस से इनकी झड़प हो जाती है तो कई बार पोस्ट पर तैनाती का तनाव, दबाव के साथ उन्हें परिवार और समाज में भी तनाव का वातावरण मिलता है।
ऐसे में भी वे विपरीत परिस्थितियों से जूझते हैं। भारतीय सेना के जवान का यही दमखम बहुत अहम है। दरअसल चाहे जैसी भी स्थिति हो कितना भी तनाव हो भारत का वीर सैनिक दुश्मन से देश की रक्षा करने और अन्य आपातकालीन स्थितियों में देश की रक्षा करने के लिए डंटा रहता है। हम यहां पर फिल्म रूस्तम का कुछ भाग ले सकते हैं। यह हिंदी फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है।
इस फिल्म में एक सैन्य अधिकारी के पारिवारिक जीवन में आए तनाव को बताया गया है मगर यदि वास्तविकता में गौर करें तो भारत का सैनिक कई तरह के तनाव आने के बाद भी डंटकर दुश्मन से मुकाबला करता है। यही जज़्बा भारत की संप्रभुता की रक्षा करता रहा है और भारत की सेना को विश्व में एक उच्च स्तर पर बनाए रखता है।
भारतीय सेना को विश्व की अनुशासित सेना माना जाता है। हमारे सैनिक अपने अधिकारियों, राजनीतिक परिस्थितियों और सिविल जीवन शैली में राष्ट्रीय सद्भाव कम हो जाने की स्थितियों के बाद भी विद्रोह नहीं करते। केवल अनुशासित तरह से अपनी भागीदारी निभाते हैं। उनका इस तरह का बर्ताव और योगदान अतुलनीय है।