नई दिल्ली : देश में महिलाओं के साथ बढ़ती घटनाएं निश्चित ही चिंता का विषय है। इस पर न केवल गंभीरता से विचार किया जाना आवश्यक है, वहीं सख्त से सख्त कानून भी बनाने की जरूरत अब महसूस होने लगी है। चाहे महिलाओं के साथ होने वाली रेप की घटनाएं हो या फिर होने वाले अत्याचार ही क्यों न हो, अमुमन हर दिन ही घटनाओं की जानकारी समक्ष में आती रहती है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर में गैंग रेप का मामला सामने आया है। इस घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश को तो शर्मसार कर ही दिया है, कानून व्यवस्था पर भी प्रश्न चिह्न खड़ा हो गया है।
यह बात दीगर है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संबंधित थाना स्टाॅफ को निलंबित कर दिया है वहीं और भी पुलिस अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना है, परंतु प्रश्न यह उठता है कि आखिर इस तरह की घटनाओं पर अंकुश क्यों नहीं लगाई जा सकी है। गौरतलब है कि इसके पूर्व भी ऐसी कई घटनाएं समक्ष में आ चुकी है, जिसने कानून व्यवस्था के मामले में प्रश्न चिह्न खड़े किए है।
हालांकि तत्कालीन समय के दौरान ही महिलाओं को और अधिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए कदम भी उठाए गए है, परंतु प्रतीत होता है कि ये कदम नाकाफी सिद्ध हुए है और शायद यही कारण है कि रेप की घटनाएं लगातार हो रही है तथा सुरक्षा का दंभ भरने वाले जिम्मेदार कुछ नहीं कर पा रहे है।
बुलंद शहर की घटना ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है और विपक्षी राजनीतिक दलों को नया मुद्दा मिल गया है।
वस्तुतः इस तरह की घटनाओं पर राजनीति नहीं होना चाहिए, बावजूद इसके राजनीतिज्ञ, राजनीति खेलने से परे नहीं हट रहे है। आवश्यकता इस बात की है कि कानून में बदलाव लाया जाएं तथा इस तरह के और अधिक उपाय किए जाए, जिससे महिलाएं अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सके।
हालात यह हो गए है कि महिलाएं रात में तो ठीक, दिन में भी घर से निकलने में असुरक्षित महसूस करती है।