नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तौर पर तनाव बढ़ गया है। दरअसल उरी में सेना ब्रिगेड कार्यालय पर हुए आतंकी हमले के बाद से ही दोनों देशों के बीच सैन्य और असैन्य तनाव की स्थिति देखने को मिली है। ऐसे में भारत ने वर्षों पुरानी सिंधु जल संधि तोडने की बात कर आतंक का समर्थन करने वाले पाकिस्तान पर वार किया है।
इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर दी गई है, जिसमें इस संधि की संवैधानिकता को ही चुनौती दी गई है। इस याचिका को एमएल शर्मा ने दायर किया है। इस याचिका के दायर होने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संधि को ले कर महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक में जल संधि तोड़ने और न तोड़ने से होने वाले फायदे और नुकसान को लेकर भी चर्चा होगी। साथ ही इसके कई पहलूओं पर विशेषज्ञों पीएम मोदी चर्चा करेंगे।
गौरतलब है कि इस जल संधि के तहत 6 नदियों को शामिल किया गया था जिसमें से 3 नदियां सीधे भारत के अधिकार क्षेत्र में आती हैं तो अन्य 3 नदियों झेलम, चीनाब और सिंधु के पानी को बिना बाधा के पाकिस्तान को दिए जाने की बात कही गई है, जबकि भारत के लिए सतलज, रावी और व्यास नदियों का पानी शामिल किया गया है। यह संधि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में की गई थी। जिसमें पाकिस्तान की ओर से तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे।