कल्पना ने साकार किया भारत का सपना
कल्पना ने साकार किया भारत का सपना
Share:
style="color: rgb(0, 0, 0); font-family: Arial, Tahoma, Verdana; font-size: 14px; line-height: 20px; text-align: justify;">नईदिल्ली। भारत के हुनर और कौशल का परचम भारत की धरती से दूर अंतरीक्ष पर लहराने का श्रेय यदि किसी को है तो उसमें लोकप्रिय अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला भी शामिल हैं। कल्पना चावला, जिन्हें नासा के कई स्पेस शटल की सफल उड़ानों के लिए जाना जाता है। मगर कल्पना ने अपने एस्ट्रोनाॅट जीवन में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस 87 के 6 सदस्यों की टीम के तौर पर किया।
 
इस दौरान कल्पना ने भारत को अलग पहचान दिलवाई, कल्पना की यह सफलता नासा के अंतरिक्ष मिशन की सफलता से अलग भारत की बेटी की सफलता हो गई। कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ। उनकी मां संजयोती चावला और पिता बनारसी चावला थे। इनके परिवार में कल्पना 4 भाईयों और बहनों में सबसे छोटी थी।
 
कल्पना को प्यार से मोंटू कहा जाता था। कल्पना की प्रारंभिक पढ़ाई टैगोर बाल निकेतन में हुई। बचपन से ही कल्पना इंजीनियर बनने की चाह रखकर आगे बढ़ी। हालांकि पिता कल्पना को चिकित्सक बनाना चाहते थे। कल्पना प्रारंभ से ही अंतरिक्ष यात्राओं को लेकर विचार किया करती थीं। कल्पना ने अपनी शुरूआती शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से प्राप्त की।
 
मगर वर्ष 1982 में वे यूनाईटेड स्टेट्स आॅफ अमेरिका चली गईं। जहां उन्होंने वैमानिकी अभियान्त्रिकी में विज्ञान में उपाधि हासिल की। एकल और बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमान परिचालन का लाईसेंस भी उन्होंने हासिल कर लिया।  
 
कल्पना का मेन मिशन 
 
कल्पना चावला ने मार्च 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर को ज्वाईन किया। इसके बाद कल्पना सफलता के शिखर की ओर आगे बढ़ती चली गईं। उन्हें वर्ष 1998 में पहली उड़ान के लिए चुना गया। 19 नवंबर 1997 को उन्हें पहले अंतरिक्ष मिशन के लिए चुना गया। अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस - 87 से उन्होंने अपना मिशन प्रारंभ किया।
 
यह मिशन कल्पना के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा। इस मिशन से कल्पना ने भारत का परचम दुनियाभर में लहरा दिया।  कल्पना चावला ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा का अंतिम सफर वर्ष 1991 - 92 में उन्होंने भारत यात्रा के बाद तय किया। जी हां, इस दौरान वे अपने पति और बच्चों के साथ छुट्टियां बिताईं मगर अवकाश से आने के बाद वर्ष 2000 में एसटीएस 107 का मिशन उनके लिए अंतिम मिशन रहा।
Disclaimer : The views, opinions, positions or strategies expressed by the authors and those providing comments are theirs alone, and do not necessarily reflect the views, opinions, positions or strategies of NTIPL, www.newstracklive.com or any employee thereof. NTIPL makes no representations as to accuracy, completeness, correctness, suitability, or validity of any information on this site and will not be liable for any errors, omissions, or delays in this information or any losses, injuries, or damages arising from its display or use.
NTIPL reserves the right to delete, edit, or alter in any manner it sees fit comments that it, in its sole discretion, deems to be obscene, offensive, defamatory, threatening, in violation of trademark, copyright or other laws, or is otherwise unacceptable.
रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -