अतीक अहमद की बात न मानने पर रातोंरात हुआ अफसर का ट्रांसफर, पूर्व IG ने खुद सुनाया किस्सा
अतीक अहमद की बात न मानने पर रातोंरात हुआ अफसर का ट्रांसफर, पूर्व IG ने खुद सुनाया किस्सा
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लखनऊ: गैंगस्टर अतीक अहमद सिर्फ जुर्म की दुनिया का ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति का भी बेताज बादशाह रहा है। पहले की सरकारों में उसका रुतबा ऐसा था कि जो अफसर उसके रास्ते में आया, उसको लखनऊ से ट्रांसफर का आदेश थमा दिया गया। एक ऐसे ही अफसर आरके चतुर्वेदी हैं। वह समाजवादी पार्टी (सपा) के शासनकाल में वर्ष 2016 में IG जोन प्रयागराज थे। उस वक़्त अतीक अहमद लगातार बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल को फंसाने के लिए चालें चल रहा था, मगर उसकी हर कोशिश को IG आरके चतुर्वेदी नाकाम कर दे रहे थे। 

IG को धमकाने उनके दफ्तर पहुँच गया था अतीक अहमद:-

जिसके बाद तत्कालीन IG जोन आरके चतुर्वेदी को धमकाने के लिए माफिया अतीक अहमद उनके ऑफिस भी जा पहुंचा था। लेकिन, जब धमकी से आरके चतुर्वेदी नहीं माने, तो सियासी और मजहबी दोनों ताकतों के बल पर अतीक अहमद ने उनका ट्रांसफर करा दिया। पूर्व IG आरके चतुर्वेदी ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि, 'बात वर्ष 2016 की है, मैं प्रयागराज में IG जोन था, उस समय मेरा अतीक अहमद से टकराव हुआ था। अतीक मुझसे मिलने के लिए मेरे ऑफिस आ धमका, तो मेरी उससे कहासुनी हो गई और उसके दूसरे ही दिन मेरा ट्रांसफर कर दिया गया।'

मर्डर केस में उमेश पाल को फंसाना चाहता था अतीक:-

आरके चतुर्वेदी बताते हैं कि, 'उस वक़्त सिविल लाइन इलाके में एक मोटरसाइकिल सवार युवक का क़त्ल कर दिया गया था। अतीक ने अपने लोगों के जरिए यह अफवाह फैला दी कि यह हत्या उमेश पाल ने करवाई है, मगर इत्तेफाक से वहां पर एक अफसर के बंगले पर CCTV लगा हुआ था और जिसे यह स्पष्ट हो गया कि हत्या गाड़ी पर पीछे बैठे व्यक्ति ने ही की है, उमेश पाल या उसके लोगों ने नहीं।'  चतुर्वेदी ने कहा कि,  'ऐसे ही एक अन्य हत्या धूमनगंज इलाके में हुई, जहां पर शिकायत अज्ञात के खिलाफ लिखवाई जा रही थी, मगर अचानक अतीक अहमद के लोग थाने पहुंच गए और उसमें उमेश पाल को नामजद किया जाने लगा।'

अतीक ने 24 घंटों में करवा दिया IG का ट्रांसफर:-

चतुर्वेदी बताते हैं कि, चूँकि मैं प्रयागराज का ही निवासी हूं, वहीं मैंने पढ़ाई लिखाई की है और पहली जेल विभाग में नौकरी यही की है, इसलिए सिपाही-दरोगा की तरह मेरे पास भी मजबूत मुखबिर तंत्र था, मुझे पता चला मर्डर केस में नामजदगी गलत हो रही है, जिसके बाद मैंने पुलिस टीम को स्पष्ट निर्देश दिए कि सुबूत के आधार पर ही गिरफ्तारी की जाएगी।' पूर्व IG आरके चतुर्वेदी ने कहा कि, 'अतीक अहमद चाहता था कि मर्डर केस में उमेश पाल को अरेस्ट कर जेल भेज दिया जाए। यह जानकारी जैसे ही अतीक अहमद को मिली, तो वो मेरे दफ्तर मुझे धमकाने पहुँच गया। अतीक अहमद ने कार्यालय में पहुंचकर रौब झाड़ना शुरू कर दिया, तो मुझे याद दिलाना पड़ा कि मैं वही अधिकारी हूं, जिसके सामने तुम जेल में हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाया करते थे।' उस समय तो अतीक वहां से चला गया, लेकिन अगले ही दिन IG को ट्रांसफर के आर्डर मिल गए। 

दरअसल, पुलिस सेवा में आने से पहले आरके चतुर्वेदी जेल विभाग में तैनात थे। वे 1986 में नैनी जेल में एडिशनल जेल सुपरिंटेंडेंट के पद पर सेवाएं दे रहे थे। उस समय अतीक अहमद को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कैद किया गया था। उस समय तक अतीक एक छोटा-मोटा गुंडा था, इसलिए वह कभी अस्पताल भेजने के लिए कभी लोगों से मिलने की इजाजत देने के लिए आरके चतुर्वेदी के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाया करता था।

सांप्रदायिक दंगों में भी अतीक अहमद का नाम:-

आरके चतुर्वेदी ने बताया कि, '1986 में प्रयागराज में भीषण सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिसमें अतीक अहमद और सफदर रजा का नाम सामने आया, दंगे में जब अतीक अहमद की खोजबीन होने लगी, तो वह पुराने केस में वारंट बनवाकर जेल में जा बैठा और जिला पुलिस को इसकी खबर ही नहीं हुई। तब मैंने जिला पुलिस को बताया कि जिस अतीक अहमद की आप लोग खोज रहे हैं, वह पुराने वारंट में जेल में कैद है, इसके बाद जिला प्रशासन ने अतीक अहमद पर NSA के तहत कार्रवाई की।' पूर्व IG आरके चतुर्वेदी बताते हैं कि, 'अतीक अहमद जब जेल से छूटा, तो वह एक नेता बन गया, उसका वर्चस्व तेजी से फैलने लगा था और उसके जुल्म भी बढ़ गए थे।' 

अतीक-अशरफ की हत्या पर क्या बोले पूर्व IG आरके चतुर्वेदी:-

अतीक अहमद और अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या पर चतुर्वेदी कहते हैं कि, 'यह एक चूक है, पुलिस हिरासत में किसी की हत्या होना पुलिस पर गंभीर सवाल खड़े करता हैं, लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि अतीक और अशरफ का क़त्ल करने वाले मोहरें भर है, इनके पीछे मास्टरमाइंड कोई और है, अब पुलिस जांच में ही उस मास्टरमाइंड का खुलासा हो पाएगा।'

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