संपूर्ण भारतवर्ष में कोरोना ने कोहराम मचा रखा है. हर शोधकर्ता वायरस की दवा योजने में जुटा हुआ है. वही, बता करें कोरोना टेस्ट की तो इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार कोरोना में पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) टेस्ट होता है. इसको सरकार की ओर से प्रमाणित लैब से ही कराया जाता है. पीसीआर टेस्ट में गले और सांस लेने वाली नली के तरल पदार्थ के टेस्ट लिए जाते हैं. इस तरह की जांच की प्रक्रिया इंफ्लुएंजा और एन1एच1 की जांच में भी होती है.
अगर बात करें पीसीआर टेस्ट की बात करें तो इसमें वायरस के डीएनए की कॉपी बनाई जाती है. 'पोलीमर' उन एंजाइमों को कहा जाता है जो डीएनए की कॉपी बनाते हैं. वहीं 'चेन रिएक्शन' में डीएनए के हिस्से तेजी से कॉपी किए जाते हैं- जैसे एक को दो में कॉपी किया जाता है, दो को चार में कॉपी किया जाता है और इसी तरह ये क्रम चलता रहता है. इस विधि का आविष्कार अमेरिका के जैव रसायन विज्ञानी कैरी मुलिस ने किया था. बाद में उन्हें इस उत्कृष्ट कार्य के लिए रसायन विज्ञान का नोबल पुरस्कार भी दिया गया था.
कोरोना की जांच रिपोर्ट आने में कितना लगता है समय
सैम्पल कलेक्शन और जांच रिपोर्ट का समय अलग-अलग होता है. लैब की ओर से किसी सैम्पल की जांच की प्रकिया में पहले 6 घंटे का वक्त लग जाता था, लेकिन रोजाना हो रहे बदलावों के चलते इस वक्त ये टेस्ट 4 घंटे में ही पूरा हो जाता है. अब इन नमूनों की जांच रियल टाइम पीसीआर विधि से होती है. इसलिए समय में कमी आई है. लेकिन कई प्रकार के टेस्ट होने के कारण समयसीमा तय नही है. इसलिए कहना मुश्किल है कि मरीज की रिपोर्ट कितने समय में मिल जाएगी.