लखनऊ। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर ये सवाल किए गए हैं कि आखिर वे मुख्यमंत्री के संवैधानिक पद पर हैं और फिर वे सांसद पद पर भी बने हुए हैं। वे दोनों पदों पर नहीं रह सकते हैं। यह सवाल इलाहाबाद उच्च न्यायालय में समाजसेवी संजय शर्मा ने एक जनहित याचिका दायर कर किया। याचिका में लिखा गया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सांसद के तौर पर भत्ते और अन्य सुविधाऐं प्राप्त कर रहे हैं।
मगर ये दोनों ही विधानसभा में हैं। ये विधानसभा और संसद का प्रतिनिधित्व एक साथ नहीं कर सकते हैं। गौरतलब है कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद की फूलपुर सीट से सांसद हैं। तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद हैं। इस मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच द्वारा अटाॅर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को समन भेजा गया है।
न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार की बेंच ने याचिका को एक्सेप्ट किया। उत्तरप्रदेश के एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह की दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने इस मामले में मुकुल रोहतगी से राय मांगी। गौरतलब है कि फिलहाल राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना हैं। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं ने अपनी संसद सदस्यता को इस चुनाव के चलते अपने पास रखा है। तो दूसरी ओर कहा जा रहा है कि न्यायालय के पास ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जिसमें सांसद विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हुए उच्च पद पर बना हुआ हो।
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