डाकू गब्बर सिंह आज भी फ़िल्मी परदे पर है जिन्दा
डाकू गब्बर सिंह आज भी फ़िल्मी परदे पर है जिन्दा
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बॉलीवुड में समय-समय पर कई अभिनेताओ ने डाकुओ के पात्र में अभिनय किया है और वाह-वाही बटोरी है लेकिन "कितने आदमी थे" यह डायलॉग जैसे ही सुनाई देता है जेहन में शोले के गब्बर सिंह की यादें ताजा हो जाती हैं सन 1975 में प्रदर्शित फिल्म शोले के पात्र डाकू गब्बर सिंह पूरे देश में तब से लेकर आज तक लोकप्रिय है और बोलने, चलने-फिरने, हँसने और खैनी फांकने की अदा आज भी हम सभी के दिलो दिमाग में बसी है और समय-समय पर कई अभिनेताओ ने लोकप्रियता पाने के लिए इस पात्र की अदा की नक़ल भी की डाँकू गब्बर सिंह पात्र को परदे पर जीवंत बनाने वाले अमजद खान चमत्कारिक अभिनेता थे. अमजद खान भले ही आज इस दुनियां में नहीं है लेकिन डाकू गब्बर सिंह आज भी फ़िल्मी परदे पर जिन्दा है.

इस चमत्कारिक अभिनेता का जन्म 12 नवम्बर 1940 को फिल्मों के जाने माने अभिनेता जिक्रिया खान के पठानी परिवार में आन्ध्रप्रदेश के हैदराबाद शहर में हुआ था इनके पिता बॉलीवुड में जयंत के नाम से काम करते थे बचपन से ही अमजद खान को अभिनय से लगाव हो गया और थियटर से जुड़ गए अमजद खान की पहली फिल्म बतौर बाल कलाकार ''अब दिल्ली दूर नहीं'' 1975 में बानी थी उस समय वह केवल 17 साल के थे.

अमजद खान पढाई पूरी करने के बाद निर्देशक के आसिफ के साथ असिस्टेंट के रूप में काम करने लगे बतौर कलाकार अमजद खान की पहली फिल्म मुहब्बत और खुदा थी जिसमे वह अभिनेता संजीव कुमार के गुलाम की भूमिका की थी इस बारे में बहुत कम लोग जानते है कि बतौर अभिनेता उनकी पहली फिल्म शोले नहीं थी.

गांधी के इस देश में गब्बर सिंह की लोकप्रियता अबूझ पहेली है फिल्म शोले एक बहुत बड़ी फिल्म थी जब निर्देशक रमेश सिप्पी ने अमजद खान जैसे नये अभिनेता को फिल्म के लिए चुना तो उनके साथियों ने कहा अमजद खान जैसा नया लड़का अमिताभ, धर्मेन्द्र और संजीव कुमार जैसे धुरंधर अभिनेताओ के सामने टिक नहीं पायेगा, हालाकि पहले इस भूमिका के लिए निर्देशक रमेश सिप्पी डैनी डेन्जोप्पा को लेना चाहते थे लेकिन वह फिरोज खान की फिल्म धर्मात्मा में व्यस्त थे सलीम और जावेद इस नये कलाकार अमजद खान  को अवसर देने के लिए निर्देशक रमेश सिप्पी से आग्रह किया जिसे इन्होनें एक नाटक में अभिनय करते देखा था कम कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद अमजद खान अभिनीत डाकू गब्बर सिंह सर्वाधिक लोक प्रिय पात्र फिल्म इतिहास में किंवदंती बन चुका है

अपने 16 साल के फ़िल्मी कैरियर में अमजद खान ने लगभग 120 फिल्मो में काम किया उन की प्रमुख फिल्मे आखिरी गोली हम किसी से कम नही, चक्कर पे चक्कर आदि है जिसमे उन्होंने शानदार अभिनय किया अमजद जी अपने काम के प्रति बेहद गम्भीर व ईमानदार थे परदे पर वे जितने खूंखार और खतरनाक इंसानों के पात्र निभाते थे लेकिन वे वास्तविक जीवन और निजी जीवन में वे एक भले हँसने हँसाने और कोमल दिल वाले इंसान थे.

फिल्म शोले की सफलता के बाद अमजद खान ने बहुत सी हिंदी फिल्मो में खलनायक की भूमिका की 70 से 80 और फिर 90 के दशक में उनकी लोकप्रियता बरक़रार रही उन्होंने डाकू के अलावा अपराधियों के आका, चोरों के सरदार और हत्यारों के पात्र निभाए उनकी ज्यादातर फिल्मों में अमिताभ ने हीरो की भूमिका निभाई है बॉलीवुड में अमिताभ, अमजद और कादर खान तीनों की दोस्ती मशहूर थी उन्होंने फिल्म याराना में अमिताभ के दोस्त और फिल्म लावारिश में पिता की भूमिका की थी उन्होंने कुछ हास्य किरदार भी निभाए जिसमे फिल्म कुर्बानी लव स्टोरी और चमेली की शादी में उनके कॉमिक रोल को खूब पसंद किया गया 80 के दशक में उन्होंने दो फिल्मे बनायीं थी 1983 में चोर पुलिस जो कि सफल रही और 1985 में अमीर आदमी गरीब आदमी जो की बॉक्स ऑफिस पर फेल हो गयी थी.

अमजद खान जी ने सन 1972 में शैला खान से शादी कर ली थी और कुछ वर्षों बाद उनके घर एक पुत्र हुआ शादाब खान जिन्होंने कुछ फिल्मे भी की उनको एक पुत्री अहलाम खान और दूसरे पुत्र सीमाब खान है जो कि फिल्मों में नहीं आये कहते  है पात्र लेखक की कठुतालियाँ होते है और भगवान की कठपुतली इंसान है जिसका समय पूरा होता है उसी की डोर खीच ली जाती है गोवा जाते समय दुर्घटना के बाद अमजद जी का बच जाना किसी खुदा के करिश्में से कम न था अमिताभ बच्चन ने उस संकट की घड़ी में अपना खून दिया और घंटो अस्पताल में प्रार्थना करते रहे अमजद  जी चंगे हुए, लेकिन वह मानसिक रूप से थोड़ा कमजोर हो गए किन्तु इसी बीच उनके पिता का भी देहांत हो गया जिससे परिवार का सारा बोझ उन्ही के कंधो पर आ गया साथ ही वह कारटीजोन नामक बीमारी के प्रभाव में आकार मोटे हो गए जिससे वह दिन भर में केवल शुद्ध दूध और शक्कर की सौ प्याली चाय की आदत हो गयी इससे वजन बढ़ता गया और बेचारा दिल कब तक, कहाँ तक दम मारता और अंततः 27 जुलाई 1992 को भारतीय फिल्म का यह सितारा ह्रदय की गति रुकने से सदा के लिए अस्त हो गया लेकिन जब भी हिंदी फिल्मों के विलेन की चर्चा होगी तो गब्बर सिंह यानि अमजद खान जी के नाम सबसे पहले लिया जायेगा.

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