भागवत ने की हिन्दुत्व की व्याख्या, कहा-आत्मीयता और प्रेम ही हिन्दुत्व है
भागवत ने की हिन्दुत्व की व्याख्या, कहा-आत्मीयता और प्रेम ही हिन्दुत्व है
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लखनउ: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ नेता और सरसंघचालीक मोहन मधुकरराव भागवत ने हिन्दुत्व की व्याख्या की है। उन्होंने बताया है कि हिन्दुत्व देश के लिये हमेशा से ही सर्वोपरि रहा है ओर हिन्दुत्व किसी के साथ द्वेषता नहीं रखता। भागवत का कहना है कि हिन्दुत्व प्रेम और आत्मीयता का प्रतीक है। 

हिन्दुत्व न तो किसी विचारधारा का विरोध करता है और  न ही सांप्रदायिक सद्भाव को कभी बिगाड़ने का ही प्रयास किया गया है। भागवत उन राजनीतिक दलों को जवाब दे रहे थे, जिनके द्वारा संघ को सांप्रदायिकता का माहौल बिगाड़ने वाला करार दिया जाता है।

भागवत यहां संघ कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्हांेने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे हिन्दुत्व की रक्षा करने के लिये आगे आये और ऐसा कार्य करें कि हिन्दुत्व सुरक्षित हो जाये। भागवत ने हिन्दुत्व को लेकर कहा कि भारत और भारत में रहने वाले लोगों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। भारत माता की जयकारे लगाना कोई अपराध नहीं हो सकता, क्योंकि जिस देश भारत में हम रहते है, उसकी शान में जयकारो लगाना गुनाह तो नहीं है।

भागवत की नजरों में समाज और समाज में रहने वाले लोग भगवान के समान है। उनका यह भी कहना है कि दुर्बलता से हिन्दुत्व की रक्षा नहीं की जा सकती है तो वहीं उन्होंने हिन्दुत्व को संपन्न बनाने के लिये भी कार्यकर्ताओं को जोर दिया। भागवत ने कहा कि वे आज भी हिन्दु राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करने के लिये प्रतिबद्ध है और संघ इस दिशा में कार्य करता रहेगा।

 

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