गौर संरक्षण के लिए गो सदन बनाने पर हो रहा हिमाचल में प्रयास
गौर संरक्षण के लिए गो सदन बनाने पर हो रहा हिमाचल में प्रयास
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शिमला: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है और इस सरकार ने राज्य में विधायकों को गौसंरक्षण का संदेश देने की बात कही है। दरअसल मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने स्वयं इस मामले में ध्यान दिया है और प्रयास करने की बात कही है।

दरअसल विधानसभा में एक प्रश्न इस मामले में उठाया गया और राज्य में सरकार के इस दिशा में होने वाले प्रयास पर जानकारी मांगी गई। ऐसे में सरकार की ओर से कहा गया कि गायों को आवारा पशु या मवेशी नहीं कहा जा सकता। दरअसल जो गायें परिपक्व होती हैं उन्हें इस तरह से नहीं कहना चाहिए। यह इन गायों का अपमान होता है।

दरअसल यह दर्शाता है कि लोग दूध देने के बाद गायों को किस तरह से रखते हैं। दरअसल जो मवेशी सक्षम नहीं होते हैं उनके साथ कई तरह से बुरा बर्ताव होता है। कई बार तो वे दुर्घटना के ही शिकार हो जाते हैं। उनके द्वारा कहा गया कि परित्यक्त गायों को इस तरह से नहीं लिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में उच्च न्यायालय के निर्देश का ध्यान रखा गया है और उसी के अनुसार 3226 पंचायतों में गो सदन या फिर गोशाला बनाने की वकालत की गई मगर पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री अनिल शर्मा ने कहा कि इस तरह की बात व्यावहारिक नहीं है।

हमें क्लस्टर की दिशा में ही आगे बढ़ना होगा। मंत्री अनिल शर्मा ने कहा कि प्रत्येक पंचायत में गोसदन बनाया जाएगा। इसके लिए 80 करोड़ रूपए खर्च करने होंगे और फिर रखरखाव हेतु 66 करोड़ रूपए की आवश्यकता होगी। ऐसे में सरकार सही विकल्प का चुनाव करने में लगी है। उल्लेखनीय है कि भाजपा के सदस्यों ने इस मामले में कहा था कि जो गाय दूध देना बंद कर देती हैं उन्हें निकाल दिया जाता है और फिर वे आवार पशु हो जाती है। 

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