सीता की सादगी और गीता का चुलबुला अंदाज़                                                                                       
               हेमा मालिनी बेहद ख़ास
सीता की सादगी और गीता का चुलबुला अंदाज़ हेमा मालिनी बेहद ख़ास
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  सीता की सादगी और गीता का चुलबुला अंदाज़                             

हेमा मालिनी बेहद ख़ास

किसी शायर ने क्या खूब लिखा है- गर हौसले हो बुलंद  तो मंजिल मिल ही जाती है ...एक कदम तुम बढ़ाओ दस कदम वो पास आती है…….

 

साल 1964,आँखों में कुछ बनने का सपना लेकर फिल्म के ऑडिशन में गई एक  लड़की, जिसे डायरेक्टर ने ये बोल कर मना कर दिया कि उसमे फ़िल्मी हिरोइन जैसी अदाये ,वो चमक नही है जो लोगो को दीवाना बना सके |

किसने सोचा था कि एक दिन वो ही लड़की रुपहले पर्दे पर लाखो-करोडो दिलो  की धड़कन बन जाएगी,लेकिन ये अनहोनी हुई और दक्षिण भारत के  त्रिचारापल्ली  में 16 octber 1948 को जन्मी हेमा आर. चक्रवर्ती, देखते -देखते सारे देश की  ड्रीम गर्ल  बन गई.

जी  हां, हम बात  कर रहे है  बॉलीवुड के क्लासिक दौर की सबसे सफल  अदाकारा , ख्यात  नृत्यांगना, डायरेक्टर,प्रोडूसर  और  मथुरा  की सांसद  सदाबहार हेमा मालिनी की |

जिनका 69वा जन्म दिन  उनके चाहनेवाले बड़े प्यार से मना रहे है. लेकिन  एक सच ये भी है कि आज भी उनके चेहरे की चमक ,अदाकारी  की महक ,और डांस में खनक  वैसा ही है जैसी शोले की बसंती के वक्त थी .  

फ़िल्मी सफ़र

हेमा मालिनी ने अपना फ़िल्मी सफरनामा  वैसे तो  साल  1961  में  एक क्षेत्रीय भाषा की फिल्म में, डांसर के रूप में शुरू किया पर कलाकार के रूप में उनकी पहली  हिंदी फिल्म  1968  में  रिलीज़ हुई “सपनों के सौदागर “  जिसमे  उन्हें लीजेंड राज कपूर का साथ मिला. लेकिन इस सुंदरी को पहचान  मिली 1970 में  देवानंद  के साथ “ जॉनी मेरा नाम” में.

बकौल हेमा मालिनी उनको बतौर अभिनेत्री बॉलीवुड में पहचान दिलाने में मशहूर निर्देशक रमेश सिप्पी का बड़ा योगदान है जिनकी निर्देशित फिल्म अंदाज़ (1971) और सीता और गीता (1972) ने  हेमा को रातो-रात स्टार बना दिया | इतना ही नही जिस हेमा मालिनी को ये बोलकर रिजेक्ट किया गया था कि उनमे हेरोइन जैसी  अदाए नही है उसी हेमा को साल 1972 में सीता और गीता के लिए best heroin के film fare ward से नवाज़ा गया.

उसके बाद तो हेमा मालिनी बॉलीवुड की सल्तनत की रज़िया सुल्तान बन गई.

जो 150 फिल्मो ,धारावाहिकों, के लम्बे सफ़र के साथ आज भी कायम है.

 हिंदी सिनेमा की पहली ड्रीम गर्ल

 

भारतीय सिनेमा की मील का पत्थर कहलाने वाली शोले में गब्बर के बाद अगर किसी किरदार को सबसे ज्यादा पसंद किया गया तो वो थी “ बेफजूल की बात नही करने वाली बसंती  “ जिसकी अल्हड अदाए, बेबाक अंदाज़, और भोलेपन ने दर्शको,को हेमा का दीवाना बना दिया | आज भी धन्नो और बसंती की जोड़ी लोगो के ज़ेहन में कायम है , धर्मात्मा की हसीन रेशमा हो या खुशबू की सीधी सादी कुसुम या फिर कृष्णा के प्रेम में डूबी मीरा, हर किरदार में हेमा की खूबसूरती देखने वालो के दिल में समां गई.

कौन भूल सकता है रज़िया सुल्ताना में हेमा की बेइंतेहा खूबसूरती, शायराना अंदाज़ और सुल्तानी तेवर जिसने पर्दे पर वाकई रज़िया सुलतान को जिन्दा कर दिया | हेमा मालिनी के अभिनय और खूबसूरती के इसी संगम ने उन्हें दिलाया बॉलीवुड की ड्रीम गर्ल का खिताब जो आज भी कायम है.

धर्मेन्द्र के साथ रील से रियल जोड़ी

वीरू की बसंती, याकूत की रज़िया के रूप में दर्शको ने धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की जोड़ी को बेहद पसंद किया, दोनों ने कुल मिलाकर 28 फिल्मो में साथ काम किया जिनमे अधिकांश फिल्मे सफल ही रही. लेकिन रील में इजहार-ऐ-मोहब्बत करते-करते रियल में भी धर्मेन्द्र और हेमा के दिल मिल गये और पहले से शादीशुदा धर्मेन्द्र ने तमाम विरोधो के बावजूद इस्लाम धर्म अपनाकर हेमा मालिनी से निकाह कर ही लिया | ऐसा भी कहा जाता है कि संजीव कुमार और जीतेन्द्र भी हेमा मालिनी को पसंद करते थे, पर हेमा की पसंद धर्मेन्द्र थे. और दोनों एक हो गये, आज भी धर्मेन्द्र-हेमा की जोड़ी बॉलीवुड की सबसे खुबसुरत और कामयाब जोड़ियों में शुमार है.

हेमा -रूप एक रंग अनेक

हेमा मालिनी का जीवन एक मिसाल है देश के युवाओ के लिए |

एक अभिनेत्री के तौर पर उन्होंने जितनी शिद्धत से अभिनय किया उतना ही समय अपने शौक ओडिशी और भरतनाट्यम जैसे क्लासिकल डांस को भी दिया उन्होंने कभी इसके लिए समझौता नही किया | वो आज भी अनेक उत्सवो में अपने क्लासिक डांस की प्रस्तुति से सबका मन मोह लेती है. इतना ही नही एक्टिंग के बाद उन्होंने धारावाहिक नुपूर के साथ दिल आशना है, टेल मी ओ खुदा जैसी फिल्मो का निर्माण भी किया |

अभिनेत्री से नेत्री

 

1999 के चुनाव में विनोद खन्ना के लिए स्टार प्रचारक के तौर पर जनसभा सम्बोधित करने वाली हेमा को भी शायद ये नही पता था कि एक्टिंग, डांस के बाद उनकी तीसरी पारी राजनीति में शुरू होगी | 2004 में बीजेपी में शामिल होकर 2009 तक राज्यसभा सांसद रही हेमा को, समाज सेवा में सक्रियता के कारण संगठन ने 2010 में जनरल सेक्रेटरी बना दिया और 2014 के लोकसभा चुनाव में मथुरा सीट से जीतकर किशन की ये मीरा ब्रजवासियो की पुरी लगन के साथ सेवा कर रही है.

ऐसीबेहतरीन अदाकारा, बेमिसाल नृत्यांगना और विदुषी जनसेवक को जन्मदिन की अनंत शुभकामानाये ,

रहती दुनिया तक आपका नूर सलामत रहे और आप अदाकारी और जनसेवा प्रतिमान बनकर सबके दिलो में बसी रहे  ||

                                              

 
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