पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के परिवार की हालत जानकर, आप रह जायेंगे निशब्द
पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के परिवार की हालत जानकर, आप रह जायेंगे निशब्द
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जालंधर: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बीते वर्ष 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले को आज एक साल पूरे हो चुका है. आतंकियों के इस कायराना हमले में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 से अधिक जवान शहीद हो गए थे, वही इस हमले में पंजाब के चार सपूत भी समिल्लित थे. इन शहीदों के परिवारों की वर्तमान स्थिति और क्या सरकार ने शहीदों के परिजनों से जो वादे किए थे. उन्हें पूरा किया अथवा नहीं. वही आज भी ये सिर्फ सरकारी वादों के बोझ तले ही जीवन बिताने पर मजबूर हैं.

एक साल गुजरने के पश्चात् भी शहीदों के परिजनों से किए गए वादे अभी तक पुरे नहीं किया जा सके हैं. इन परिवारों को  सरकारी नौकरी, यादगारी गेट, शहीद के नाम पर रोड और स्कूल, लोन माफ आदी तमाम वादे धरे के धरे ही रह गए. चलिए आज जानते है. इन सूबे के चार शहीदों के परिजनों की कहानी जो सम्मान, सहारा, शिक्षा, नौकरी और सुविधाओं के इंतजार में सरकार की और 
आशा लिए बैठे है. 

शहीद कुलविंदर सिंह के पिता ने बताया मैं कब से कह रहा हूं कि बेटे का यादगारी गेट बनवाओ, सरकार सुनती नहीं है शहीद के पिता दर्शन सिंह ने बताया कि वह बार-बार कह चुके हैं कि मेरे पुत्र की याद में गेट बनाया जाए परन्तु प्रशासन उनको कभी पार्क तो कभी खेल ग्राउंड के दावे कर कर बात को टाल देती है. लेकिन ना ही उनके बेटे की याद में 18 फीट लिंक रोड का काम शुरू किया गया है और ना ही कोई पार्क बनाने की उन्हें सूचना है.

शहीद जमैल सिंह कि पत्नी का दर्द सुन कर आप हैरान रह जायेगे. वही शहीद की पत्नी को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है सरकार की और से 5 लाख जो देना बाकी है, वह अभी तक नहीं मिले है. शहीद की विधवा सुरजीत कौर ने कहा कि पति का सपना था कि बेटे गुरप्रकाश सिंह का दाखिला पंचकूला के गुरुकुल स्कूल में हो और मैंने बेटे का दाखिला करा दिया है. अब मैं बेटे के साथ किराए के फ्लैट में पंचकूला में ही रह रही हूं. वही उन्होंने बताया कि हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है.

 तीसरे शहीद मनविंदर सिंह के पिता ने यह बताया कि मेरा बड़ा बेटा शहीद हो गया और छोटे बेटे की नौकरी के लिए चक्कर काट रहा हूं. वही पंजाब रोडवेज से ट्रैफिक इंस्पेक्टर के रूप में रिटायर हुए शहीद मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्री ने कहा कि बड़े बेटे के शहीद के होने के पश्चात् अब वे छोटे बेटे के साथ घर पर अकेले रह गए हैं. वही छोटे बेटे को पंजाब पुलिस में नाैकरी संबंधी वह दो बार चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री से मिलने के लिए गए परन्तु मुलाकात नहीं हो पाई है. 

शहीद सुखजिंदर सिंह के पिता ने बताया कि बहू को नौकरी मिली नहीं और ना ही बैंक का 2.5 लाख रुपए का कोई मुआवजा आया. वही शहीद के पिता गुरमेज सिंह ने कहा कि सूबा सरकार ने 12 लाख रुपए देने का एलान किया था. इस पर कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत ने ढाई-ढाई लाख के दो चेक दिए लेकिन बाकी की सात लाख की रकम कब मिलेगी कोई जानकारी नहींं है. वही बहू सरबजीत कौर को चपरासी का ऑफर दिया गया परन्तु 12वीं पास उसने इस नौकरी से नकार दिया. उन्होंने यह भी बताया कि हमारा लोन भी माफ नहीं किया गया है.

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