क्या आप भी पहली बार कर रही है हरतालिका तीज व्रत? तो जरूर जान लीजिए ये 10 जरुरी बातें
क्या आप भी पहली बार कर रही है हरतालिका तीज व्रत? तो जरूर जान लीजिए ये 10 जरुरी बातें
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भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है। इस बार हरतालिका तीज 18 सितंबर, सोमवार को मनाई जाएगी। इसको हरितालिका तीज एवं हरतालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व का संबंध शिव जी से है और 'हर' शिव जी का नाम हैं इसलिए हरतालिका तीज अधिक उपयुक्त है। महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। हरतालिका तीज व्रत बेहद प्रभावशाली है किन्तु इस व्रत के कुछ नियम है जिनका पालन करना आवश्यक है। यदि आप भी पहली बार हरतालिका तीज व्रत रख रही हैं तो ये खास नियम, पूजन विधि जान लें। इनके बिना व्रत अधूरा माना जाता है।

पहली बार ऐसे रखें हरतालिका तीज व्रत:-

व्रत कैसे करें शुरू - 
पहली बार हरतालिका तीज व्रत रखने वाली हैं तो अपनी मान्यता मुताबिक ही व्रत का संकल्प लें। कहते हैं पहली बार जैसा व्रत का संकल्प लिया जाता है आजीवन उसे वैसे ही निभाना पड़ता है। ध्यान रहे निर्जला या फलाहार व्रत का संकल्प लें तो उसे पूरा अवश्य करें।

व्रत की अवधि का ध्यान रखें - 
हरतालिका तीज व्रत 24 घंटे के लिए रखा जाता है। इस व्रत की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि के सूर्योदय से होती है तथा अगले दिन चतुर्थी के सूर्योदय पर ये समाप्त होता है।

हरतालिका तीज में पानी पी सकते हैं ? -
शास्त्रों के मुताबिक, हरतालिका तीज व्रत में अन्न, जल का त्याग करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत में भोजन करने वाली व्रती को अगले जन्म वानर तथा पानी पीने से अगले जन्म में मछली की योनि प्राप्त होती है। यदि आप निर्जला व्रत करने में सक्षम न हो तो फलाहार व्रत कर सकती है।

ऐसे वक़्त में न करें पूजा - 
यदि हरतालिका तीज के दौरान महिलाओं को मासिक धर्म हो जाए तो उन महिलाओं को दूर से ही भगवान की कथा सुननी चाहिए। भगवान को नहीं छूना चाहिए, व्रत बताए गए समय अनुसार ही खोलें।

बीच में नहीं छोड़ा जाता व्रत - 
एक बार हरतालिका तीज का व्रत आरम्भ कर दिया तो इसे बीच में छोड़ा नहीं जा सकता। व्रती के जीवनकाल तक इसका पालन करना पड़ता है। यदि किसी कारणवश ये व्रत न कर पाएं तो इसका उद्यापन कर दें तथा  परिवार की दूसरी महिला को ये व्रत सौंप दें जिससे क्रम बना रहे।

रात्रि जागरण क्यों है आवश्यक - 
शास्त्रों के मुताबिक, हरतालिका तीज व्रत में व्रतधारी महिलाओं का दोपहर या रात्रि सोना वर्जित है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन जो महिलाएं सो जाती हैं वो अगले जन्म में अजगर के रूप में पैदा होती हैं। इस व्रत में रात्रि के चारों प्रहर में शिव-पार्वती की पूजा करने से व्रत का शीघ्र फल मिलता है।

सोलह श्रृंगार - ये सुहाग पर्व है। इस दिन सुहागिनों को 16 श्रृंगार कर शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए। मेहंदी अवश्य लगाएं। मान्यता है इससे शंकर जी जल्द खुश होकर समस्त मनोकामना पूरी करते हैं।

कथा-दान के बिना अधूरा व्रत - 
हरतालिका तीज व्रत में मिट्‌टी के शंकर-पार्वती जी की विधि विधान से पूजा की जाती है। फुलेरा बांधा जाता है। इसके साथ ही कथा का श्रवण जरुर करें। चारों प्रहर में अंतिम पूजा के पश्चात् माता पार्वती को चढ़ाया सिंदूर अपने माथे पर लगाएं तथा सुहाग की सामग्री ब्राह्मणी को दान कर दें।

व्रत का पारण:- 
हरतालिका तीज व्रत का पारण चतुर्थी तिथि यानी गणपति उत्सव के पहले दिन सूर्योदय के पश्चात् ही किया जाता है। व्रत खोलने से पहले स्नान कर विधि वत शिव-पार्वती की पूजा करें। तत्पश्चात, पूजन सामग्री सहित मिट्टी के शिवलिंग का विसर्जन करें तथा फिर प्रसाद खाकर ही व्रत खोलें।

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