राजनीति के गलियारों में हो रहा
राजनीति के गलियारों में हो रहा "योग" का अपमान
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योग ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मन और आत्मा का मिलन किया जाता है और शरीर को निरोगी रखा जाता है, किन्तु राजनीती के दलालो और मुस्लिम संगठनो ने योग को मज़ाक बना कर रख दिया है . भारत ही नही लगभग विश्व के सभी देशो में योग किया जाता  है . फिर क्यों योग पर इतने प्रश्नचिन्ह उठ रहे है ? क्यों योग पर इतना बवाल हो रहा है? क्या इन सब का यही कारण है की सिर्फ एक शख्स ने योग को दुनिया के सामने लाने की पहल की.  

 मोदी सरकार ने जैसे ही 21 जून को योग दिवस मानाने का ऐलान किया वैसे मुस्लिम ऐसे लपके जैसे "चूहे के पीछे बिल्ली लपकती है". योग को मुद्दा बनाकर ये कैसी राजनीती खेल रहे है. सूर्यनमस्कार में झुकने से अगर मजहब बदलता है तो, नमाज़ अदा करने पर भी ठीक वैसे ही झुकना पड़ता है जैसे सूर्यनमस्कार में , तो क्या अब ये नमाज़ पढ़ना छोड़ देंगे . पहले तो कभी योग को लेकर इतना बवाल नही हुआ तो अब क्यों?. इतना सब कुछ देख कर ऐसा लगता है की अब विरोध करने को सिर्फ योग ही बाकी रह गया है. जिस तरह से मुस्लिम संगठनो द्वारा योग को धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है उससे यह लगता है की योग नही करने की वजह से उनका मानसिक संतुलन बिगड़ सा गया है. जब भी मोदी सरकार ने कुछ नया करने की कोशिश की उसका विरोध होना प्रारम्भ हो जाता है. क्या मोदी द्वारा योग की पहल पर विरोध होना लाज़मी है?

दुनिया में कोरी मानसिकता वाले लोगो की भरमार है और ये लोग उन्ही में से है जो योग का मज़ाक बना रहे है. दलगत राजनीति के कुछ ऐसे बुद्धि जीवी लोग भी है जो खुलेआम योग का विरोध तो नही कर रहे है लेकिन विरोधियो की नीव अंदर ही अंदर पक्की कर रहे है. अब इन मुस्लिमो की बुद्धि में ये बात कैसे भरी जाये की योग न तो किसी धर्म विशेष का है और न ही किसी धार्मिक संस्कृति को आहात करता है. यह तो एक सुगम स्वास्थ प्रक्रिया है जिसकी सलाह सभी धर्म के डॉक्टर भी देते है . जब इतने से पेट नही भरा तो विपक्ष पार्टी के कुछ नेता आकर बची-कुची कसर पूरी करने आगए. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कहते है की मोदी योग को लोगो पर जबरजस्ती थोप रहे है, अब भैया इनको कौन समझाए की अगर जबरजस्ती भी थोप रहे तो इससे तम्हारी तबीयत थोड़ी ख़राब हो जाएगी. अगर तम्हे योग से परेशानी है तो मत आना योग करने कौन तुम्हारा हाथ पकड़ के ला रहा है. योग को इस तरह विवादों में लेकर आना और योग के बारे में विभिन्न तरह के बयानी तीर चलना स्वयं योग का अपमान है. इस विषय में लोगो को आगे आकर योग का सम्मान बनाये रखने की ज़रूरत है.

लेखक: संदीप मीणा

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