बिकता है दूल्हा, हीरे के मोल!
बिकता है दूल्हा, हीरे के मोल!
Share:

भारत देश परंपराओं और मान्यताओं का देश है। यहां पर वैवाहिक आयोजन भी संस्कारों में माने जाते हैं। हालांकि इस परंपरा में कुछ बातों के जुड़ने से विवाहों का रंग कुछ फीका हो जाता है। ऐसी ही कुप्रथाऐं आज भी प्रचलित हैं। दहेज इसी तरह की कुप्रथा है। हालांकि समय के फेर के चलते कुछ वधुऐं स्वयं ही इन कुप्रथाओं का विरोध कर देती हैं तो कुछ ऐसी होती हैं जो इसका विरोध नहीं कर पातीं। इनके परिजन भी सामाजिक व्यवस्था के बोझ तले इनका विरोध नहीं कर पाते हैं। मगर समाज में यह व्यवस्था इस कदर फैली है कि दुल्हों के रेट अपने अनुसार तय कर दिए गए हैं।

अर्थात् समाज में वर्चस्व, अपेक्षाकृत अधिक ऊंची जाति, वर की अच्छी नौकरी के आधार पर दुल्हों को दहेज देने की बातें तय होने लगी हैं। दहेज प्रथा समाज में इस कदर हावी हो गई है कि यह प्रतिष्ठा का प्रश्न तक बन गई है। अब तो दहेज देना एक व्यवहार सा हो गया। यदि वर पक्ष संपन्न भी हो तो भी माता - पिता अपनी लड़की को वह सब सामग्री भेंट करते हैं जो दहेज में दी जाती है। विवाह की रस्मों के पहले ही तय हो जाता है कि वधू पक्ष के लोगों को वर पक्ष के लोगों को कितना दान - दहेज देना है।

यदि वर अच्छी नौकरी में है तो वह 50 हजार से लाखों में दहेज ले लेता है। समाजिक स्तर पर एक तरह से यह दूल्हे की खरीद ही होती है। इस दौड़ में सामाजिक रस्म अदायगी का नाम देकर मनमाफिक रकम ले ली जाती है। जैसे शादी का पूरा खर्च ही लड़की वालों से वसूला जाता है। इस प्रथा को उच्च शिक्षित, धनाढ्य और संभ्रांत परिवार के लोग भी अधिक बढ़ावा देते हैं। ऐसे परिवारों में दहेज की रकम और भी अधिक तय कर दी जाती है।

महंगाई के बोझ के तले दबे व्यक्ति अपनी बेटी का विवाह जैसे - तैसे करते हैं उस पर दहेज प्रथा का सामाजिक बंधन उनके लिए मुश्किलें पैदा करता है। दहेज का विरोध करने के बाद भी वधुओं को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। दहेज प्रथा एक ऐसी कुरीति है जिसकी जड़ आज भी समाज में कायम है और इसे समाप्त किया जाना बेहद जरूरी है। 

'लव गडकरी'

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -