मनसा देवी की महिमा
मनसा देवी की महिमा
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देवी का एक ऐसा धाम है, जहां दर्शन मात्र से और जिनका नाम लेने भर से भक्तों की मन्नतें पूरी हो जाती हैं. ये हैं हरिद्वार की मां मनसा. मां नाम के अनुरूप ही भक्तों की समस्त मंशाओं को पूरी कर देती हैं. अगर आपकी कुंडली में कालसर्प दोष का साया है या जीवन में हर काम में अड़चन आती है, तो मां मनसा का यह धाम किसी वरदान से कम नहीं है. मां के इस दरबार में की गई कालसर्प दोष निवारण पूजा कभी खाली नहीं जाती है.

मान्यता है कि जब माता पार्वती अपने पिता हिमालय के राजा दक्ष के घर अश्वमेध यज्ञ में बिना बुलाए चली गई, तो किसी ने उनका सत्कार नहीं किया और यज्ञ में शिवजी का भाग भी नहीं निकाला, तो आत्म सम्मान के लिए मां ने अपने आपको यज्ञ की अग्नि में होम कर दिया. जिसका पता चलते ही शिवजी यज्ञ स्थान पर पहुंचकर सती का दग्ध शरीर लेकर तांडव नृत्य करते हुए देश-देशातंर में भटकने लगे. भगवान शिव का उग्र रूप देखकर  देवताओं को चिंता हुई, तो भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्त्र से लक्ष्यभेद कर सती के शरीर को खंड-खंड कर दिया.

जिसके बाद विभिन्न स्थानों पर सती के शरीर के अंग जहां-जहां गिरे वहीं शक्तिपीठों की स्थापना हुई और शिव ने कहा कि इन स्थानों पर भगवती शिव की भक्ति भाव से आराधना करने पर कुछ भी दुलर्भ नहीं होगा.

पंचकूला शिवालिक गिरिमालाओं पर देवी के मस्तिष्क का अग्र भाग गिरने से मनसा देवी शक्तिपीठ देश के लाखों भक्तों के लिए पूजा स्थल बन गए हैं. इसके अलावा अनेक कथाएं श्री माता मनसा देवी मंदिर के बारे में प्रसिद्ध हैं. मंदिर के विकास के लिए सरकार द्वारा श्रीमाता मनसा देवी पूजास्थल बोर्ड की स्थापना कर दी गई है, जोकि मंदिर बडे़ ही सुचारू ढंग से रख-रखाव कर रहा है.

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