दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। वैसे गोवर्धन पूजा को अन्न कूट का पर्व भी कहा जाता है और यह हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व आज यानी 5 नवंबर को मनाया जाने वाला है। तो आज हम आपको बताते हैं गोवर्धन पूजा के लिए सबसे पहले क्या करना चाहिए और इस दिन क्या नहीं करना चाहिए और गोवर्धन जी की आरती ।
गोवर्धन पूजा पर भूलकर भी न करें ये गलतियां-
- ध्यान रहे गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन बंद कमरे में न करें।
- कहते हैं इस दिन गायों की पूजा करते हुए ईष्टदेव या भगवान कृष्ण की पूजा करना न भूलें।
- कहा जाता है गोवर्धन पूजा के समय गाय, पौधों, जीव जंतु आदि को भूलकर भी न सताएं और न ही कोई नुकसान पहुंचना चाहिए।
गोवर्धन पूजा के लिए सबसे पहले क्या करें- सुबह जल्दी उठकर पूजन सामग्री के साथ में आप पूजा स्थल पर बैठ जाइए। इसके बाद अपने कुल देव का, कुल देवी का ध्यान करिए। पहले से ही पूजा के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत तैयार कर लीजिये। इसे लेटे हुए पुरुष की आकृति में बनाया जाता है और इसके बाद इन्हें फूल, पत्ती, टहनियों एवं गाय की आकृतियों से या फिर आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे किसी भी आकृति से सजा दें।
गोवर्धन जी की आरती-
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े, तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा, और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ, ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ, तेरी झांकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण। करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
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