दूल्हे को 'काना' बताकर दुल्हन ने किया शादी से इंकार, फिर...?
दूल्हे को 'काना' बताकर दुल्हन ने किया शादी से इंकार, फिर...?
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बमोरी/भोपाल. अहिरवार समाज के विवाह सम्मेलन में अचानक उस समय हंगामा खड़ा हो गया, जब एक दुल्हन ने फेरे लेने से इंकार कर दिया. उसने दूल्हे पर आरोप लगाकर 4 घंटे बाद ही दूसरे दूल्हे के साथ शादी रच ली. दरअसल दुल्हन का आरोप था कि दूल्हे की एक आंंख खराब है, और वह काना है. इस बात पर दूल्हे ने अपने आप को सही साबित करने के लिए एक आंख बंद कर कथित तौर पर खराब करार दी गई आंख से किताब भी पढ़कर बताई , लेकिन इसके बाद भी दुल्हन मानने के लिए तैयार नहीं हुई. आखिर में यह रिश्ता टूट गया, लेकिन दुल्हन के घरवालों के सामने परेशानी ये कड़ी हो गई की हल्दी चढ़ी लड़की को वापस घर कैसे ले जाएं. इसलिए तड़के पांच बजे से दूसरे लड़के की तलाश शुरू हुई. आखिरकार चार घंटे की मशक्कत के बाद 4 किमी दूर खड़ेला गांव में योग्य वर मिल गया और मंगलवार सुबह करीब 11 बजे के आसपास फेरे भी हो गए.

आपको जानकारी दे कि सोमवार को अक्षय तृतीया के मौके पर यहां अहिरवार समाज का विवाह सम्मेलन था. जिसमे करीब 25 जोड़े थे जिसमे एक लक्ष्मीबाई और फूलचंद भी थे. लक्ष्मीबाई के पिता नहीं हैं, यह रिश्ता उसके जीजा बलराम ने कराया था. लड़का राजस्थान के मुसेड़ी गांव का रहने वाला था और एक फैक्टरी में काम करता था. 9-10 मई की दरम्यानी रात को 3 बजे दोनों के फेरे तय थे. इससे पहले वरमाला हो चुकी थी, तभी से लड़की पक्ष में सुगबुगाहट शुरू हो गई. उन्हें शक हो गया कि दूल्हे की एक आंख में कुछ गड़बड़ी है. तब तो सब कुछ ठीक-ठाक निबट गया, लेकिन रात को करीब तीन बजे के बाद जैसे ही मंडप के नीचे फेरे के लिए वर-वधू बैठे तो विवाद शुरू हो गया. वधू ने फेरे लेने से साफ इंकार कर दिया.

रिश्ता तय कराने वाले जीजा पर भी वधू पक्ष के लोग जमकर भड़क गए . उधर लड़के वाले कहते रहे कि लड़के की आंख में कोई खामी नहीं है. यहां तक की खराब बताई जा रही आंख से दूल्हे ने किताब भी पढ़कर बता दी, पर दुल्हन नहीं मानी. लड़के पक्ष ने नाराज होकर सुबह करीब 5 बजे पुलिस बुला ली. खाकी के हस्तक्षेप के बावजूद बात नहीं बनी. इसके बाद वर पक्ष के लोग वहां से चले गए. अब समस्या यह खड़ी हो गई कि हल्दी चढ़ने के बाद लड़की को बिना फेरे कराए घर वापस कैसे ले जाएं. भारी धर्मसंकट के बीच सभी ने तय किया कि शादी तो इसी मंडप के नीचे होगी. रिश्तेदारों के बीच चर्चा शुरू हो गई कि इस कन्या के लिए योग्य वर कौन सा हो सकता है. आखिरकार गांव में किसानी करने वाले सुरेश पिता किशन अहिरवार से लक्ष्मीबाई का रिश्ता तय हो गया और दोनों का विवाह हो गया.

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