मोसुल। वह मोसुल जो आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट आॅफ इराक का गढ़ रहा करता था। आज वहां जिंगल बेल, जिंगल बेल की गूंज सुनाई दे रही है। यहां लोग एक दूसरे को मेरी क्रिसमस कहकर पर्व मना रहे हैं। मध्यरात्रि में 12 बजते ही चर्च में पवित्र अग्नि जलाई गई तो दूसरी ओर, चर्च में घंटों की ध्वनि गूंजती रही। दरअसल, उस मोसुल में ईसाई समुदाय के लोगों ने प्रभु ईसा मसीह का जन्मोत्सव मनाया जो कभी, आईएसआईएस का गढ़ था।
आईएसआईएस के राज में ईसाईयों के धार्मिक क्रियाकलाप पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। ईसाई चर्च जिहादियों के हमलों से, क्षतिग्रस्त हो गए थे। ईसाई लोगों के घरों को आईएसआईएस ने नष्ट कर दिया था। क्रिसमस के अवसर पर, इराक के काल्डियन कैथोलिक चर्च के बुजुर्ग धर्मगुरू लुईस रफाएल साको ने इसाईयों को घर लौटने की संभावना जताई।
हालांकि, मोसुल को लेकर, जानकारी सामने आई है कि, जिन लोगों ने चर्च बनाया वे मुसलमान थे, शहर के युवा मुसलमान मगर इस मौके पर चर्च, मुसलमान और ईसाई दोनों से ही पटा हुआ है। यहां, मुस्लिम धर्मगुरू भी मौजूद थे। उन्होंने, मोसुल व विश्व में शांति के लिए प्रार्थना करने के लिए कहा। ईसाई समुदाय के धर्मगुरू ने कहा कि, बिना शांति के जीवन संभव नहीं है। शांति के लिए, दिल से प्रार्थना होना चाहिए।
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