घर को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त रखने के लिए करे ये उपाए
घर को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त रखने के लिए करे ये उपाए
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फेंगशुई का महत्व हमारे जीवन में दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है, वैसे अगर देखा जाए तो फेंगशुई से मिलती-जुलती कई बातें भारतीय वास्तु शास्त्र में भी है। फेंगशुई बिना तोड़-फोड़ घर को वास्तु सम्मत बना देता है। फेंगशुई की कुछ टिप्स हैं, जिनसे सुख-समृद्धि पाया जा सकता है।

घर में जो घडिय़ां बंद पड़ी हों, उन्हें या तो घर से हटा दें या चालू करें. बंद घडिय़ां हानिकारक होती हैं। इनसे नकारात्मक ऊर्जा निकलती है. फेंगशुई के अनुसार घर के पूर्वोत्तर कोण में तालाब या फव्वारा शुभ होता है।

इसके पानी का बहाव घर की ओर होना चाहिए न कि बाहर की ओर। घर को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त रखने के लिए पूर्व दिशा में मिट्टी के एक छोटे से पात्र में नमक भर कर रखा जाना चाहिए। हर चौबीस घंटे के बाद नमक बदल देना उचित रहेगा. अपने ऑफिस में पूर्व दिशा में लकड़ी से बनी ड्रैगन की एक मूर्ति रखें।

इससे ऊर्जा एवं उत्साह प्राप्त होगा। घर या दफ्तर में झाड़ू का जब इस्तेमाल न हो रहा हो, तब उसे नजरों के सामने से हटाकर रखें। यदि घर का मुख्य द्वार उत्तर, उत्तर-पश्चिम या पश्चिम में हो तो उसके ऊपर बाहर की तरफ घोड़े की नाल लगा देना चाहिए।

कमरों में पूरे फर्श को घेरते हुए कालीन आदि बिछाने से लाभदायक ऊर्जा का प्रवाह रुकता है। फेंगशुई के अनुसार, क्रिस्टल-ट्री का उपयोग घर में सुख-समृद्घि, प्रतिष्ठा व शांति के लिए किया जाता है। रत्नों का पौधा सुनने में भी भले ही काल्पनिक लगे किन्तु वास्तविकता यही है कि चीनी पद्धति में इस पौधे का अधिक महत्व है। यह पौधा तरह-तरह के रत्नों और स्फटिकों का बना होता है. इसमें कई वैरायटीज होती हैं।

कानलियन का पेड़ छात्रों को करियर बनाने में सहायता देता है. नवरत्न पेड़ नवग्रहों की शांति, सुख तथा पारिवारिक शांति के लिए उपयोग किया जाता है। एमेथिस्ट का पेड़ दिमाग का संतुलन बनाए रखता है।

रंग-बिरंगे रत्नों से सजे इस पौधे को यदि घर के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में रखा जाए तो निश्चित रूप से जीविका चलाने वाले व्यक्ति के सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसे घर में दक्षिण-पूर्व दिशा में भी रखा जा सकता है। इसे व्यवसायिक स्थल पर रखने से संपदा मिलती है। इसे बैठक में भी रखा जा सकता है. इसका एक और महत्वपूर्ण कार्य नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना भी है।

फेंगशुई किसी भी भवन के आकार, अनुपात, दिशा तथा आसपास के वातावरण में पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाए रखता है। फेंगशुई के सिद्धांत समूचे विश्व में समान रूप से लागू होते हैं क्योंकि यह शास्त्र सूर्य की किरणों एवं पृथ्वी पर बहने वाली चुम्बकीय तरंगों पर आधारित है, जो मनुष्य द्वारा निर्धारित की गई, किसी भी देश की सीमा से प्रभावित नहीं होते हैं। जहां फेंगशुई का सिद्धांत है, वहां सभी समस्याओं का समाधान है। इसलिए तो फेंगशुई पर लोगों का विश्वास बढ़ता जा रहा है।

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