गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार! कांग्रेस ने किया विरोध तो कुमार विश्वास बोले- जहर न उगलें
गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार! कांग्रेस ने किया विरोध तो कुमार विश्वास बोले- जहर न उगलें
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नई दिल्ली: गोरखपुर स्थित गीता प्रेस (Gita Press) को वर्ष 2021 का 'गांधी शांति पुरस्कार' (Gandhi Shanti Award) से सम्मानित करने के लिए चुना गया है। जिसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव जयराम रमेश ने इस फैसले का पुरजोर विरोध किया है, वहीं अब इस पर जाने-माने कवि डॉ कुमार विश्वास ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी हैं। उन्होंने गीता प्रेस को ये सम्मान प्रदान किए जाने का समर्थन करते हुए फैसले का स्वागत किया है। साथ ही कुमार विश्वास ने यह भी कहा कि ऐसी प्रेस के लिए विषैले शब्द बोलना सही नहीं है। 

 

दरअसल, कांग्रेस नेता जयराम रमेश के विरोध पर डॉ कुमार विश्वास ने किसी का नाम लिए बगैर हमला बोला है। उन्होंने जयराम रमेश के बयान पर एक खबर के स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए ट्वीट किया है, जिसमे उन्होंने लिखा है कि, 'पूज्य हनुमान प्रसाद पोद्दार जी व अन्य महापुरुषों द्वारा उत्प्रेरित गीता प्रेस जैसा महान प्रकाशन, दुनिया के हर सम्मान के योग्य है। करोड़ों-करोड़ आस्तिकों के परिवारों तक न्यूनतम मूल्य में सनातन-धर्म के पूज्य ग्रंथ उपलब्ध कराना महान पुण्य-कार्य है। ऐसी प्यारी संस्था के लिए यह विष-वमन उचित नहीं।'

बता दें कि, गीता प्रेस हिन्दू धार्मिक ग्रंथों की विश्व की सबसे बड़ी पब्लिशर है। इस प्रेस की स्थापना जय दयाल गोयनका, हनुमान प्रसाद पोद्दार और घनश्याम दास जलान ने वर्ष 1923 में गोरखपुर में की थी। इस साल इस प्रेस ने अपने 100 वर्ष पूरे किए हैं। ऐसे में गीता प्रेस को ये सम्मान 'अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान' के लिए प्रदान किए जाने का फैसला किया गया है। मगर, कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की तुलना सावरकर और गोडसे से कर डाली है। 

जयराम ने गीता प्रेस को सम्मान देने को एक उपहास करार देते हुए कहा कि गीता प्रेस को ये अवार्ड देना ऐसा है, जैसे सावरकर या गोडसे को पुरस्कार दिया जा रहा हो। रमेश ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा कि, '2021 के लिए गाँधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया जा रहा है, जो इस साल अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। अक्षय मुकुल ने 2015 में इस संस्थान की एक काफी अच्छी जीवनी लिखी है। इसमें उन्होंने इस संस्थान के महात्मा के साथ उतार-चढ़ाव वाले रिश्तों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया है।' जयराम रमेश ने कहा कि, 'यह फैसला वास्तव में एक उपहास है, सावरकर तथा गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।'

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