FSSI ने ठहराया मैगी पर प्रतिबंध को सही
FSSI ने ठहराया मैगी पर प्रतिबंध को सही
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भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSI) ने शुक्रवार को मुंबई उच्च न्यायालय के समक्ष मैगी नूडल्स पर लगाए गए प्रतिबंध को सही ठहराते हुए कहा कि मैगी में लैड की मात्रा तय सीमा से अधिक पाई गई है. जज वी एम कनाडे और बी पी कोलाबावाला की डिवीज़न बैंच में नेस्ले इंडिया की याचिका पर सुनवाई चल रही है, जिसमें FSSI ने 5 जून को मैगी के 9 तरह के उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने आदेश दिए थे. याचिका में महाराष्ट्र सरकार के मैगी की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश को भी चुनौती दी गई है.

FSSI के वकील अनिल सिंह ने कहा कि खाद्य नियामक ने मैगी की विनिर्माता नेस्ले इंडिया द्वारा दिए गए बयान का अध्ययन किया है और वह कंपनी को अपनी बात रखने का मौका देने को तैयार है. उन्होंने कहा कि हमने अभी तक उत्पाद को दी गई मंजूरी वापस नहीं ली है. हम उनकी दलील सुनने को तैयार हैं. यदि वे कानून के तहत शर्तों का पालन करने को तैयार हैं, तो उन्हें इस उत्पाद के विनिर्माण और बाजार में बिक्री की अनुमति दी जाएगी.

सिंह ने अदालत में तर्क दिया कि विभिन्न राज्यों से FSSI द्वारा मैगी के विभिन्न बैचों से लिए गए नमूने लिए 72 नमूनों की जांच की गई. इसमें से 30 में लैड की मात्रा तय सीमा से अधिक पाई गई. जज कोलाबावाला ने जब सिंह से पूछा कि यदि 3 संस्करण का परीक्षण किया गया, तो सभी नौ संस्करणों पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया. इसके अलावा सिर्फ मैगी का ही परीक्षण क्यों किया गया, अन्य कंपनियों के नूडल्स की जांच क्यों नहीं की गई.

नेस्ले ने दी सफाई

नेस्ले ने अपनी सपाई में कहा कि हो सकता है मैगी के कुछ बैच में लैड की मात्रा तय सीमा से अधिक पाई गई हो लेकिन उत्पाद पर पूरी तरह रोक लगाना अनुचित और गैर-कानूनी है. कंपनी ने दावा किया है कि उसने भारत और विदेशों में 2,700 लैब में उत्पाद की जांच की, जिसमें पाया गया कि लैड की मात्रा 0.5 प्रतिशत स्वीकृति सीमा से कम थी.

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