बूचड़खाना : हाईकोर्ट ने कहा खाने की पसंद, जीने के अधिकार का मामला
बूचड़खाना : हाईकोर्ट ने कहा खाने की पसंद, जीने के अधिकार का मामला
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लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा कि खाने की पसंद, जीने के अधिकार के तहत आने वाला मामला है.कोर्ट ने यूपी की योगी सरकार से कहा है कि वह 10 दिन के अंदर योजना बनाए ,ताकि बंद हुए अवैध बूचड़खानों और मीट की दुकानों से लोगों की रोजी रोटी पर असर न पड़े. बता दें कि याचिकाकर्ता मीट व्यापारी ने दुकान का लाइसेंस रिन्यू करने का आदेश देने की गुहार लगाई थी, ताकि वह अपने व्यापार को चला सके.

गौरतलब है कि जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की खंडपीठ ने तीन अप्रैल को बहराइच के मीट विक्रेता सईद अहमद की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि खाने की कई आदतें प्रदेश में फैल चुकीं हैं और ये सेक्युलर राज्य की संस्कृति का हिस्सा बन चुकीं हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि  गैर कानूनी गतिविधि को रोकने के साथ ही कानूनी गतिविधियां खासतौर से जो भोजन व व्यापार से जुड़ी हैं, उनके लिए भी सुविधाएं मिलनी चाहिए.

इस मुद्दे पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित हाई पावर कमेटी की 10 अप्रैल को होने वाली बैठक को लेकर भी निर्देश दिए. हाई कोर्ट ने नसीहत दी कि कानून का अनुपालन किसी अभाव में समाप्त नहीं हो.हाई कोर्ट ने सरकार को यह निर्देश दिया कि बैठक में सबसे पहले मीट के फुटकर विक्रेताओं के लाइसेंस के नवीनीकरण समेत अन्य समस्याओं पर विमर्श किया जाए.कोर्ट का मानना था कि जानवरों के वध की सुविधा नगर निगमों व जिला पंचायतों आदि की ओर से उपलब्ध नहीं कराया जाना भी इस समस्या को बढ़ा रहा है. हाई कोर्ट ने कहा कि व्यापार, पेशा, स्वास्थ्य की सुरक्षा के अधिकार के साथ ही उपभोग और सुविधाएं मुहैया कराना सरकार का दायित्व है.

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