सबक और संयम का साल रहा 2019, ये रहे सालभर के 3 बड़े फैसले और 3 बड़े विवाद
सबक और संयम का साल रहा 2019, ये रहे सालभर के 3 बड़े फैसले और 3 बड़े विवाद
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नई दिल्ली: वर्ष 2020 दस्तक देने को तैयार है। किन्तु, वर्ष 2019 में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिसने इसे सबक और संयम का वर्ष बना दिया। एक ओर साल के शुरुआत में ही पुलवामा में हमने 40 वीर जवानों को खो दिया वहीं अंत में नागरिकता संशोधन अधिनयम के विरोध और समर्थन में बड़ी-बड़ी रैलियां देखीं। जानिए इस साल के तीन बड़े फैसले और तीन बड़े विवाद :-

तीन तलाक की समाप्ति
एक अगस्त 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दस्तखत करते ही तीन तलाक बिल ने कानून का रूप ले लिया। अब भारत में तीन तलाक गैरकानूनी हो गया है। तीन तलाक में दोषी पाए गए शख्स को तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त पीड़ित महिला गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है। इस बिल को लोकसभा ने 25 जुलाई और राज्यसभा ने 30 जुलाई को पास कर दिया था।

अयोध्या मामले का समाधान
नौ नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने सैकड़ों साल पुराने अयोध्या मामले पर फैसला दिया। अदालत ने अन्य पक्षों की दलीलों को खारिज करते हुए 2.77 एकड़ की भूमि रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया। इसके साथ ही अदालत ने आदेश दिया कि सरकार तीन महीनें में एक ट्रस्ट का निर्माण करे, वहीं मस्जिद के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को दे।

धारा 370 का खात्मा
पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली संविधान की धारा 370 को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही अनुच्छेद 35ए भी रद्द हो गया। जम्मू कश्मीर में अब भारतीय संविधान पूर्ण रूप से लागू हो चुका है। इसके साथ ही केंद्र ने जम्मू और कश्मीर को विभाजित करते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नाम से दो नए केंद्रशासित प्रदेश बनाए।

सीबीआई और ममता बनर्जी
तीन फरवरी 2019 को जब सीबीआई की बड़ी टीम चिटफंड घोटाले की जांच करने के लिए कोलाकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के पास पहुंची तब उनमें से कुछ अधिकारियों को स्थानीय पुलिस ने कस्टडी में ले लिया। इसके बाद केंद्र ने CRPF को सीबीआई अधिकारियों की सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया। जिसके बाद ममता बनर्जी केंद्र सरकार के खिलाफ खुद धरने पर बैठ गईं। इसके बाद पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों ने अपने यहां सीबीआई के प्रवेश पर रोक लगा दी थी।

कर्नाटक का सियासी नाटक
25, 28 और 29 जुलाई 2019 को कर्नाटक विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष रमेश कुमार ने कांग्रेस-जेडीएस के 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस के 17 विधायकों ने अपनी पार्टी से विद्रोह करते हुए त्यागपत्र दे दिया था, इसके बाद कुमारस्वामी सरकार बहुमत साबित करने में नाकाम रही थी।

विवाद नागरिकता संशोधन अधिनियम
12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दस्तखत के बाद नागरिकता संशोधन बिल ने कानून की शक्ल ले ली। इस कानून के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक रूप से प्रताड़ित हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी लोगों को सरलता से भारत की नागरिकता मिल सकेगी। इस कानून में मुस्लिमों का नाम नहीं होने से देशभर में निरंतर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। जिसे कई बड़ी पार्टियों का समर्थन भी हासिल है। इन प्रदर्शनों में अब तक 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

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