कॉरपोरेट FD बनी कंपनियों की पहली पसंद
कॉरपोरेट FD बनी कंपनियों की पहली पसंद
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अब रिटेल निवेशक कंपनियों के लिए पैसा जुटाने की पहली पसंद बनती जा रही हैं। पिछले 6 महीनों में कॉरपोरेट FD की संख्या में करीब 2.5 गुना इजाफा हुआ है। इस में छोटी कंपनियां ज्यादा रूचि ले रही है। कॉरपोरेट FD के जरिए जहां कंपनियों को पैसा जुटाना आसान होता है, वहीं निवेशकों को भी बैंक की तुलना में एक से दो फीसदी ज्यादा ब्याज मिलता है। हालांकि, ये बैंकों की तुलना में कहीं ज्यादा जोखिम भरा भी होता है। कॉरपोरेट FD में कंपनियां अपनी जरूरतों के लिए FD के रूप में पूंजी जुटाती हैं। इसके लिए वह विज्ञापन के जरिए निवेशकों को निवेश के लिए आमंत्रित करती है। इन FD पर सामान्य तौर पर ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कंपनियां बैंक और फाइनेंस कंपनियों से ज्यादा ब्याज देती हैं। इसमें कंपनियों के पास कंपनी कानून के तहत डिपॉजिट लेने का अधिकार होता है।

कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 14 जून तक के आंकड़ों के अनुसार इस समय 244 कंपनियों ने FD के जरिए पूंजी जुटाने का आवेदन किया है। जो पिछले साल की तुलना में कहीं ज्यादा है। पिछले साल नवंबर तक करीब 98 कंपनियों ने FD के जरिए पूंजी जुटाने का आवेदन किया था। अधिकारी के मुताबिक, यह कदम निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

जो भी निवेशक किसी कंपनी में निवेश करना चाहता है, वह कंपनी के बारे में पूरी जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कर सकेगा। इस नए कानून में कंपनियों को डिपॉजिट के लिए ली गई रेटिंग और उस पर होने वाले रिस्क का डिसक्‍लोजर देना अनिवार्य है। इसके साथ ही यदि कंपनी ने कभी भी रिपेमेंट देने में डिफॉल्ट किया है, तो उसकी भी जानकारी निवेशक को देना अनिवार्य हो गया है।

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