बॉलीवुड में इन दिनों फिल्मों के रीमेक का चलन सा चल पड़ा है, कभी हॉलीवुड की प्रेरणा से फिल्में बनती हैं तो कभी साउथ की फिल्मों का रीमेक या फिर किसी पुरानी बॉलीवुड फिल्म को उठाकर उसका रीमेक बना दिया जाता है. इसी तर्ज पर तमिल फिल्म रमन्ना, जिसके तेलुगु और कन्नड़ रीमेक के बाद अब उसी फिल्म का हिंदी रीमेक 'गब्बर इज बैक' के रूप में बनाया गया है. फिल्म की कहानी है गब्बर यानि अक्षय कुमार की, गब्बर (अक्षय कुमार) समाज के मुद्दों को खत्म करने का जिम्मा उठाते हैं, सबसे बड़ा मुद्दा है भ्रष्टाचार जिसके लिए आम आदमी के रूप में एक टीम का गठन करते हुए गब्बर कभी तहसीलदारों को सबक सिखाता है तो कभी हॉस्पिटल की लूट की कहानी को सबके सामने लाता है और अंत में अपने अतीत में हुई घटनाओं का खात्मा करते हुए सबको सीख देता है.
इस पूरे घटनाक्रम में उसका सामना CBI प्रमुख (जयदीप अहलावत), उद्योगपति पाटिल (सुमन तलवार), साधु (सुनील ग्रोवर) और वकील के रूप में श्रुति (श्रुति हासन) से भी होता है. अक्षय कुमार की मौजूदगी फिल्म में एक्शन की पूर्ति करती है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपको अक्षय की तरफ से नया मिल रहा हो, एक आम आदमी के किरदार को निभाते हुए अक्षय कुमार पूरी तरह से सुपरहीरो की तरह कभी भी और किसी को भी सबक सीखाने में सक्षम रहते हैं. फिल्म के संवाद भी कुछ खास असर नहीं दिखाते. फिल्म की कहानी काफी सरल थी लेकिन निर्देशक कृष के प्रयोगों का खामियाजा पूरी फिल्म को उठाना पड़ सकता है, काफी हल्के स्क्रीनप्ले की वजह से श्रुति का किरदार कब आता है कब चला जाता है इस बात का किसी को ही नहीं चल पाता.
अगर फिल्म के विलेन की बात करें तो सुमन तलवार जैसा साउथ का सुपरस्टार भी इस फिल्म को गति नहीं दे पाता है. उसके संवाद में भी कुछ खालीपन सा नजर आता है. करीना कपूर खान की भी सिर्फ एक गाने की थी. इस फिल्म में सिर्फ सुनील ग्रोवर का ही किरदार ऐसा है जिसने सबको प्रभावित किया. शुरू से लेकर आखिर तक सुनील का ट्रैक सबसे बेहतर है. फिल्म में गाने भी बेवजह घुसाये गए है. कुल मिलाकर अगर आप अक्षय कुमार के एक्शन के दीवाने है और सुनील ग्रोवर को कॉमेडी के आलावा किसी गंभीर किरदार में देखना चाहते है तो आप फिल्म देखने जा सकते है.