अभी और है धर्मस्थलों पर प्रवेश की दरकार
अभी और है धर्मस्थलों पर प्रवेश की दरकार
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महाराष्ट्र के लोकप्रिय दर्शनीय स्थल शनि शिंगणापुर में महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिए जाने के मामले के बाद मुंबई की हाजी अली दरगाह में भी महिलाओं को प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। मगर इस मामले में महिलाओं के संगठन भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड और अन्य संगठनों ने विरोध जताया। जिसके बाद मुंबई उच्च न्यायालय ने महिलाओं के समर्थन में निर्णय देते हुए महिलाओं को भी दरगाह में इबादत की इजाजद दी।

इस तरह के निर्णय के बाद महिला संगठनों में खुशी छा गई। मगर सवाल यह है कि क्या शनि शिंगणापुर और हाजी अली दरगाह में प्रवेश की अनुमति मिल जाने मात्र से हर दर्शनीय स्थल पर महिलाओं को पूजन और इबादत की अनुमति मिल गई है। क्या हर कहीं इस आधार पर महिलाओं को प्रवेश दे दिया जाएगा। इतना ही नहीं क्या तिरूमाला मंदिर में भी महिलाओं को आसानी से प्रवेश मिल पाएगा।

उच्च न्यायालय का यह निर्णय खुशी देने वाला है। न्यायालय ने अपने निर्णय में एक अच्छा न्याय किया है। मगर कई ऐसे ट्रस्ट और धार्मिक संस्थाऐं हैं जो महिलाओं को समानता का अधिकार नहीं देते हैं। हालांकि यदि धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो महिलाओं का पूजन में विशेष स्थान है।

ऐसे कुछ पूजन हैं जिनमें महिलाओं के बिना पूजन पूर्ण नहीं माना जाता है। मगर इसके बाद भी महिलाओं को मंदिरों और अन्य धर्मस्थलों में प्रवेश न देने के नियम कुछ संगठनों द्वारा खुद को धर्म के सर्वेसेवा दर्शाने वाले मात्र साबित होते हैं। धर्म के इन पैरोकारों को यह समझना होगा कि समय के साथ ही धार्मिक नियमों में लोचशीलता बहुत जरूरी है।

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