नई दिल्ली : कुछ समय पहले ही पारित हुए दिवाला संहिता को लेकर जानकारी सामने आई है. बताया जा रहा है कि इसके तहत किसी कंपनी को ऋण देने वाले बैंक, शेयरधारक और कर्मचारी के द्वारा कंपनी की उस संपत्ति को कुर्क किए जाने की मांग की जा सकती है. यह वह सम्पत्ति है जिसका हवाला कंपनी के लिए ऋण लेते समय दिया गया था. इस सम्पत्ति में विदेशी परिसंपत्तियां भी शामिल हैं.
इस मामले में यह भी बता दे कि आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास का यह बयान सामने आया है कि इस महीने की शुरुआत में संसद द्वारा पारित दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता-2015 कर्मचारियों, ऋणदाताओं और शेयरधारकों को सशक्त बनाता है. यह इसलिए है ताकि उनके द्वारा कंपनी पर आर्थिक दबाव की स्थिति के शुरुआती संकेत देखने के तुरंत बाद ही कार्रवाई की पहल को अंजाम दिया जा सके.
मामले में आगे जानकारी देते हुए दास ने यह भी बताया है कि इस तरह की कार्रवाई शुरू करने के बाद मिले नौ महीने के विस्तारित समय के बाद भी वह कंपनी को इसी तरह के किसी दबाव की स्थिति में देखते हैं तो वह कंपनी की संपत्ति को जब्त करने की मांग कर सकते हैं. इसमें विदेशों में अर्जित वह संपत्ति भी शामिल होगी जिसे कंपनी के प्रवर्तक ने रिण लेते समय निजी गारंटी के तौर पर पेश किया होगा. उन्होंने यह भी कहा है कि इस नए कानून से भारत में आर्थिक क्षेत्र के ढांचे को बदला जाना है.