पौराणिक कथाओं में भी है हाथी का जिक्र, होती है पूजा
पौराणिक कथाओं में भी है हाथी का जिक्र, होती है पूजा
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बीते दिनों केरल में हथिनी के साथ जो हुआ वह सभी को हैरान कर गया. आप सभी को बता दें कि हाथी एक पूजनीय जानवर है और हाथी का नाम कई धार्मिक किताबों में भी है. जी दरअसल भारतीय धर्म और संस्कृति में हाथी का बहुत ही महत्व है. वहीं हिन्दू धर्म के मुताबिक अश्विन मास की पूर्णिमा के दिन गजपूजाविधि व्रत रखा जाता है. इसी के साथ गजेंद्र मोक्ष कथा का वर्णन भी मिलता है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं धार्मिक किताबों में आने वाले हाथी के बारे में. जी दरअसल आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐरावत के बारे में. आइए जानते हैं.

ऐरावत : जी दरअसल इंद्र के पास ऐरावत नामक हाथी है जिसकी वे सवारी करते हैं. कहा जाता है यह हाथी देवताओं और असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में से 5वां रत्न था. वहीं ऐरावत सफेद हाथियों का राजा था. आप सभी को बता दें कि 'इरा' का अर्थ जल है, अत: 'इरावत' (समुद्र) से उत्पन्न हाथी को 'ऐरावत' नाम दिया गया है. वहीं मंथन से प्राप्त रत्नों के बंटवारे के समय ऐरावत को इन्द्र को दे दिया गया था इस कारण इसका 'इंद्रहस्ति' अथवा 'इंद्रकुंजर' नाम भी पड़ा. वहीं आज के समय में चार दांतों वाला सफेद हाथी मिलना मुश्किल है.

आप सभी को बता दें कि महाभारत, भीष्म पर्व के अष्टम अध्याय में भारतवर्ष से उत्तर के भू-भाग को उत्तर कुरु के बदले 'ऐरावत' कहा गया है. वहीं जैन साहित्य में भी यही नाम आया है और उत्तर का भू-भाग अर्थात तिब्बत, मंगोलिया और रूस के साइबेरिया तक का हिस्सा लेकिन उत्तर कुरु भू-भाग उत्तरी ध्रुव के पास था संभवत: इसी क्षेत्र में यह हाथी पाया जाता रहा होगा.

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