मोदी लहर को प्रभावित करेंगे क्षेत्रीय नेता!
मोदी लहर को प्रभावित करेंगे क्षेत्रीय नेता!
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भारत निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों में चुनावी बिगुल बजा दिया। मार्च माह में चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी और 19 मई तक चुनाव का यह बिगुल पटाखों, ढोल  - ढमाकों के शोर में बदल जाएगा। अरे भई इन राज्यों में सरकार गठन का रास्ता जो साफ होगा। इसी के साथ विभिन्न दलों ने पांच राज्यों असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, पुदुचेरी और केरल में चुनाव प्रचार की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। भारती जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए ये चुनाव काफी अहम हैं। दरअसल दोनों की ही प्रतिष्ठा और इन राज्यों में इनका भविष्य इस चुनाव से जुड़ा है।

हालांकि भाजपा ने असम में असम गण परिषद के साथ गठबंधन कर लिया है। जो यहां पर भाजपा की मजबूत दावेदारी को दर्शाता है। यदि बात करें यहां पर नेतृत्व की तो यहां भाजपा को सर्वानंद सोनोवाल का साथ मिला है। सोनोवाल की साख इस राज्य में बेहतर है बतौर मुख्यमंत्री पद के दावेदार सोनोवल को प्रोजेक्ट करना भाजपा और असम गण परिषद के लिए फायदे वाला साबित हो सकता है फिर यहां पर कांग्रेस का जनाधार भी कम है। राज्य का विकास, नाॅर्थ इस्ट के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिया जाने वाला ध्यान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा असम का अपने भाषणों में किया गया उल्लेख भाजपा को जीत दिलवा सकता है लेकिन अन्य राज्यों में  भाजपा की कुछ मुश्किल हो सकती है।

यदि बात की जाए पश्चिम बंगाल की तो यहां भाजपा को तृणमूल और वाम दलों से कड़ी टक्कर मिल सकती है वैसे यहां पर कांग्रेस की राह भी आसान नज़र नहीं आ सकती है। माना जा रहा है कि कांग्रेस केंद्र में अपने पुराने साथ वाम मोर्चे  के साथ गठबंधन की राजनीति कर अपनी साख बचाने में लगे। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस को अग्रणी बना सकता है। फिर अकेले ममता बनर्जी का जनाधार राज्य में बहुत ही मजबूत है। तृणमूल कांग्रेस को राज्य में किए गए विकास कार्यों और सरकार में मौजूदगी का पूरा लाभ मिलेगा।

ऐसे में सरकार में उनकी वापसी भी हो सकती है हालांकि तृणमूल के नेताओं के लिए सारधा चिट फंड मामला परेशानी खड़ी कर सकता है। अल्पसंख्यक वोटर भी यहां पर कांग्रेस और तृणमूल के बीच बंट सकते हैं। कर्नाटक में कांग्रेस सत्ता में है। यहां पर भाजपा को बीफ मामले में मुख्यमंत्री पर लगाए गए आरोपों और हंगामों का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हालांकि भाजपा यहां पर खुद को मजबूत करने का प्रयास करेगी लेकिन कर्नाटक में सिद्धारमैया मजबूत नज़र आते हैं। दूसरी ओर केरल में भी ओमान चांडी का नेतृत्व कांग्रेस को मजबूती प्रदान किए हुए है फिर यहां पर अल्पसंख्यक मतदाता कांग्रेस के पक्ष में ही जा सकते हैं।

भाजपा यहां पर काफी कमजोर है। पुदुचेरी केंद्र शासित प्रदेश है। यहां भी कांग्रेस ही मजबूत नज़र आती है। जहां तक भाजपा के ब्रांड मोदी का सवाल है। इन चुनावों में मोदी लहर कुछ फीकी पड़ सकती है। भाजपा को सांप्रदायिक बयानबाजियां, देशभर में असहिष्णुता के मसले पर मचा बवाल, हैदरबाद के केंद्रीय विश्वविद्यालय में दलित छात्र द्वारा की गई आत्महत्या और सबसे ज़्यादा जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी को लेकर विरोध यहां भी झेलना पड़ सकता है हालांकि विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय विकास भी अहम मसला होगा लेकिन इन मसलों का भाजपा के जनाधार पर व्यापक असर हो सकता है। ऐसे में भाजपा को पीएम मोदी के खिलाफ होने वाले प्रचार का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा के लिए महंगाई को काबू में न कर पाने को लेकर भी सवाल उठाए जा सकते हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस को क्षेत्रीय नेतृत्व का लाभ कुछ राज्यों में मिल सकता है। 

'लव गडकरी'

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