CM बनते ही एक्शन में आए एकनाथ शिंदे, बदले उद्धव के ये 4 फैसले
CM बनते ही एक्शन में आए एकनाथ शिंदे, बदले उद्धव के ये 4 फैसले
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मुंबई: महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए उन 4 फैसलों को बहाल कर दिया है, जिन्हें 2015-2019 में देवेंद्र फडणवीस सरकार ने आरम्भ किया था तथा 2019 के पश्चात् उद्धव के नेतृत्व वाली महाविकास अघाडी सरकार ने कैंसिल  किया था। एकनाथ शिंदे ने उद्धव सरकार के जिन 4 फैसलों को परिवर्तित किया है, उनमें एपीएमसी मंडियों में किसानों के मतदान अधिकार को बहाल करना, आपातकालीन के चलते जेल में बंद लोगों को पेंशन फिर से आरम्भ करना तथा लोगों द्वारा सीधे ग्राम प्रधानों और नगर परिषद अध्यक्षों का चुनाव करना सम्मिलित है। वर्तमान में महाराष्ट्र एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एंड मार्केटिंग एक्ट 1963 ग्राम पंचायत सदस्यों, एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटी एवं मल्टी पर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी के सदस्यों को APMC के सदस्यों का चुनाव करने का हक है। 2017 में भाजपा की सरकार ने इसमें परिवर्तन करते हुए किसानों को APMC के सदस्यों एवं चेयरपर्सन का चुनाव करने का अधिकार दिया था। किन्तु 2020 में उद्धव सरकार ने इस परिवर्तन को कैंसिल कर दिया था। सरकार का कहना था कि APMC पर इतना फंड नहीं है, कि इस प्रकार का चुनाव कराया जा सके। 

एकनाथ शिंदे ने कहा, हमने ऐसे किसानों के वोट देने के अधिकार को फिर से बहाल किया है, जिन पर 0।25 एकड़ से अधिक जमीन है तथा उन्होंने अपनी फसल को बीते 5 वर्षों में 3 बार एपीएमसी मंडियों में बेंचा है। कहा जा रहा है कि ये परिवर्तन को-ऑपरेटिव सोसाइटी एवं स्थानीय निकाय में NCP एवं कांग्रेस की पकड़ को कमजोर करने के लिए उठाया गया है। इसके अतिरिक्त मंत्रिमंडल में एक और फैसला हुआ है, जो लोग इमरजेंसी के समय एक महीने से अधिक जेल में गुजारा, उन्हें 10000 रुपए पेंशन दी जाएगी। यदि ऐसे लोगों की मौत हो गई है, तो उनके घरवालों को 5000 रुपए दिए जाएंगे। जिन लोगों ने 1 महीने से कम समय जेल में बिताया है, उन्हें 5000 रुपए दिए जाएंगे। 2017 में फडणवीस सरकार इस फैसले को लाई थी। हालांकि, उद्धव सराकर ने 2020 में यह कहकर इसे बंद कर दिया था कि इसका लाभ RSS के लोगों को मिल रहा है। 
 
वही इसके अतिरिक्त मंत्रिमंडल ने ग्राम पंचायत एक्ट 1958 में परिवर्तन करने का निर्णय लिया है। इसके अनुसार, सरपंच और ग्राम पंचायत का सीधे चुनाव होगा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, राज्य सरकार ने इसमें एक और प्रावधान जोड़ने का फैसला किया है कि ग्राम पंचायत चुनाव के बाद 2 वर्षों तक और अगले चुनाव के 6 महीने पहले सरपंच एवं डिप्टी सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकेगी। इसी प्रकार महाराष्ट्र नगर परिषद, नगर पंचायत एवं औद्योगिक नगर अधिनियम, 1965 में संशोधन लाकर सीधे लोगों से नगर परिषद अध्यक्षों का चुनाव करने का भी निर्णय लिया गया है। फडणवीस सरकार ने 2017 में सरपंच का सीधे चुनाव कराने का निर्णय लिया था। हालांकि, 2020 में MVA सरकार ने इस फैसले को बदल दिया था। कहा जाता है कि चुनाव में सत्ताधारी पार्टी समर्थित प्रत्याशियों को लाभ प्राप्त होता है। फडणवीस ने साफ किया कि सभी बड़े प्रदेशों में प्रत्यक्ष चुनाव होता है। इससे सभी प्रत्याशियों को समान अवसर मिलता है। उन्होंने कहा, अप्रत्यक्ष चुनाव में योग्य प्रत्याशी साइडलाइन कर दिया जाता है। 

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