स्वतंत्रता दिवस : बातों की नहीं गोलियों की भाषा से समझाएं अब !
स्वतंत्रता दिवस : बातों की नहीं गोलियों की भाषा से समझाएं अब !
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देश में आतंकी घटनाओं में दिनों दिन बढ़ोतरी हो रही है। सीमा पार से जहां आतंकवादियों की घुसपैठ होने का सिलसिला जारी है वहीं स्वाधीनता दिवस के अवसर पर भी देश में दो स्थानों पर आतंकी हमले कर आजादी का जश्न मनाने में खलल उत्पन्न किया गया है। वैसे तो आतंकवाद का सफाया करने की दिशा में हमारी सरकार बेहतर से बेहतर प्रयास कर रही है वहीं पड़ौसी देश पाकिस्तान को भी कई बार चेतावनी दी जा चुकी है कि वह न केवल भारत के आंतरिक मामलों में अपनी दखलअंदाजी बंद कर दें वहीं भारतीय सीमाओं में आतंकियों की घुसपैठ को बंद कराये। बावजूद इसके पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।

वस्तुतः हम आतंकवाद के सफाये करने की बातें तो बहुत करते है, परंतु जिस तरह से अभी भी और अधिक कठोर कदम उठाने की जरूरत महससू हो रही है, उसे उठाने का प्रयास कदापि नहीं हो रहा है, जबकि आतंकवादी अपने कारनामों को अंजाम देने में बाज नहीं आते है। लिहाजा अब बातों से नहीं सिर्फ और सिर्फ गोलियों की भाषा ही आतंकवादियों को समझाने का वक्त आ गया है। स्वाधीनता दिवस के पूर्व कतिपय आतंकवादी संगठनों ने हमले करने की धमकी दी थी, जिसे उन्होंने करके दिखा दिया है। यह निश्चित ही हमारे खुफिया तंत्र की कमजोरी का परिणाम है कि धमकी मिलने के बाद भी किसी हमले को पहले से रोकने की दिशा में कारगर कदम नहीं उठाये जा सके और इसके परिणाम स्वरूप आजादी दिवस के दिन दो जवानों को शहीद होना पड़ गया।

गौरतलब है कि सोमवार को स्वाधीनता दिवस के दिन असम के साथ ही श्रीनगर में आतंकी हमले की घटना घटित हुई है। असम में जहां उल्फा के उग्रवादियों ने चार स्थानों पर धमाके किये है तो वहीं श्रीनगर में भी सीआरपीएफ के जवानों पर घर में छुपे आतंकवादियों ने हमला बोल दिया। जवान तो जवान ही होते है, लिहाजा आतंकवादियों को जवाब तो देना ही था, फिर भी मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो जाना और वह भी ऐन स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, अखरता है। आतंकवादी घटनाओं को लेकर लगभग हर राजनीतिक दल अपनी चिंता व्यक्त करते है, कश्मीर के हालात दिनों दिन बिगड़ रहे है और केन्द्र सरकार इस मामले को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाते है।

सिवाय पीएम मोदी के अलावा किसी अन्य राजनीतिक दल के प्रतिनिधि ने बैठक में यह कहने की हिम्मत नहीं जुटाई कि पाकिस्तान ही आतंकवाद को संरक्षण दे रहा है और यह भी नहीं कहा कि सुरक्षा बलों को खुली छूट दे दी जाये। अलबत्ता सरकार को राजनीतिक दलों को साधने के लिये यह जरूर कहना पड़ गया कि कश्मीर में सुरक्षा बलों को संयम बरतने के लिये कहा गया है, आखिर किसी बात की हद तो होती ही है, कब तक संयम बरता जाये, जो हर दिन हमले झेलते है या फिर बंदोबस्त में जुटे रहते है, उनसे पूछो जरा कि उनकी स्थिति क्या बनी हुई है। इसलिये आर-पार की लड़ाई करों और खत्म कर डालो आतंकवाद की जड़ को...।

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