त्रासदी के बाद भी मानव बो रहा बर्बादी के बीज !
त्रासदी के बाद भी मानव बो रहा बर्बादी के बीज !
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लोकप्रिय हिंदी सिनेमा बाॅर्डर का यह गीत कि मेरे दुश्मन मेरे भाई मेरे हम साये। जब भी सुनाई देता है दिल को छू लेता है। आखिर इस गीत में ऐसा क्या है। इस गीत में हकीकत है। दरअसल 71 वर्ष पहले आज ही के दिन जब अमेरिका ने युद्धक प्रयोग के तौर पर जापान पर परमाणु बम गिराया था तो शायद उसने भी नहीं सोचा होगा कि इसकी भयावहता इतने वर्षों तक भी नहीं जाएगी।

आज भी जापान के नागरिक उस घटना को याद कर सिहर उठते हैं। अब तो उस हमले में मरने वालों के बच्चे और पोते भी बहुत बड़े हो चुके हैं

मगर फिर भी ये लोग आज भी इस हादसे को लेकर दहल जाते हैं। मगर बावजूद इसके आज भी बमों, बंदूओं और हिंसक उपकरणों का परीक्षण जारी है। आज भी कई देशों में युद्धक तनातनी की स्थिति बन जाती है। अब तो विश्व को यह डर है कि कहीं ये खतरनाक हथियार आतंकियों के हाथ न लग जाऐं।

जिस तरह से उत्तरकोरिया ने दक्षिण कोरिया और अमेरिका की नीतियों के खिलाफ हाईड्रोजन बम का परीक्षण किया, यह बात यह दर्शाती है कि हथियारों की होड़ रोकने के लिए कोई देश तैयार नहीं है।

हालांकि सभी के अपने - अपने रक्षा हित हैं लेकिन एक दूसरे देश से सभी को इतना डर क्यों जब यूएन में शांति और सौहार्द के साथ समन्वय की बात होती है।

मगर दूसरी ओर सभी परमाणु से लैस मिसाईल का परीक्षण कर रहे हैं। युद्धक हथियारों का निर्यात और आयात हो रहा है। कई देश तो इसी कारोबार में लगे हैं।

फिर आतंकियों तक घातक हथियार पहुंच गए हैं जो कभी भी बड़ी हानि पहुंचा सकते हैं। मानव त्रासदी के इतने वर्ष बाद भी मानव से ही असुरक्षित है तो फिर मानवतावादी विकास के मायने क्या हैं।

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