उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम से विश्व के पसीने छूटे
उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम से विश्व के पसीने छूटे
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जापान के समुद्री सीमा के बढ़ाने पर उत्तरी कोरिया ने अपनी मंशा साफ कर दी है। उत्तरी कोरिया के तानाशाह नेता के रूप मे मशहूर किम जोंग उन ने अपने देश के प्रति श्रद्धा तो बता ही दी है। चुनाव के कुछ समय पहले आर्थिक स्थिति को सही दिशा न दे पाने पर हाइड्रोजन बम का परीक्षण राजनीतिक रूप से एक बड़ी पहल मनी जा रही है। 

सभी देश और बड़े संगठनो से पहले ही आलोचन झेल चुके उत्तरी कोरिया को अब कोई फर्क ही नहीं पड़ता। सभी देशो ने एक सुर मे हो कर नॉर्थ कोरिया की निंदा की है। पर नॉर्थ कोरिया ने जो करना था वो कर लिया। कोरिया के इस परीक्षण पर कही जापान ने हवा के नमूने इखट्टा करने विशेषज्ञ की टीम भेज दी है। तो कही बेठकों का दौर शुरू हो गया है। इस परीक्षा से कई सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन हुआ है। 

सबसे बड़ी परमाणु क्षमताओं के साथ पांच राष्ट्र- अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन के आगे अब उत्तरी कोरिया का नाम आ चूका है। 6 टन की सबसे कम क्षमता वाले इस बम ने 5.1 के अप्राकृतिक भूकंप को जन्म दिया जिससे 49 किलोमीटर का हिस्सा नहीं बल्कि पूरा विश्व हिल गया। इस चिंता का परिचायक निचले स्तरो से खुले चीन और अमेरिकी बाज़ार है। 

आलोचना के अलावा अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है। ठोस कदम उठाने मे कई प्रयोगिक समस्याए भी है। नॉर्थ कोरिया पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रह है। व्यावसायिक रूप से उत्तर कोरिया को काट देने पर देश मे विरोध और बढ़ जाएगा। उत्तर कोरिया सकल घरेलू उत्पाद में दुनिया में 208 वें स्थान पर है। 

माना जाता है कि पहले ही उत्तरी कोरिया से दक्षिणी कोरिया मे पलायन हो रहा है। विशेषज्ञो का मानना है कि बजाए हाइड्रोजन बम परीक्षण के अर्थव्यवस्था का विकास होना था। जापान एक तरफ उत्तर कोरिया से हो रही कथित जापानी लड़कियो के अपहरण के कारण परेशान है तो चीन भी 33 वर्षीय तानाशाह नेता के रवैये से परेशान है।

नए साल के तोहफे मे जनता के लिए इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता। बम के सफल परीक्षण पर स्थानीय नागरिकों ने ताली बजा कर इस फेसले का स्वागत किया। 2012 मे लंबी दूरी की मिसाइल से अन्तरिक्ष मे उपग्रह स्थापित करने वाले देश का लोहा तो सभी देशो को ज़ोर जबस्ती ही सही पर मानना होगा।

अमेरिकी वैज्ञानिक फेडरेशन के अकड़ो के मुताबिक उत्तरी कोरिया के पास 20, इसराइल के पास 80, भारत 110, पाकिस्तान 120, यूके 160, चीन 260, फ़्रांस 300,  अमेरिका 7200 और रुस के पास 7500 परमाणु हतियार है।  यह मानना बहुत मुश्किल है कि इन हतियारों का उपयोग कभी भी नहीं किया जाएगा। इस परीक्षण से शक्तियों का विकेन्द्रीकरण हुआ है।

हिमांशु मुरार

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