कश्मीर मुद्दा : हुर्रियत नेता ऐसे क्यों है?
कश्मीर मुद्दा : हुर्रियत नेता ऐसे क्यों है?
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आज कश्मीर हिंसा की आग में जल रहा है इस बात के लिए कौन जिम्मेदार है इस बात पर बहस तो कि जा सकती है लेकिन वहां की अवाम को जो मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है वो किसी को नजर क्यों नहीं आ रहा है। ये सोचने के साथ कुछ करने की बात है। कश्मीर का एक बड़ा वर्ग हुर्रियत का हिमायती है जो वहां की अवाम की आवाज होने का दावा करता है। आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान मुजफ्फर वानी के आठ जुलाई को मारे जाने के बाद कश्मीर में हिंसा के जो हालात बने वह अब तक जारी है।

वानी एक ऐसा आंतकवादी था जो सोशल मीडिया में बिना अपना मुंह छुपाये आता था जिसके कारण वो कश्मीर के एक वर्ग विशेष में बहुत लोकप्रिय हो चुका था। ये बताना इसलिए जरुरी है क्योंकि ये पाकिस्तान की एक चाल थी जिसमें वो कुछ हद तक कामयाब हो गया। वानी के मरने का फायदा उठाने के लिए वानी को एक शहीद का दर्जा देना और पाकिस्तान का दामन थामे हुर्रियत के नेताओं के द्वारा कश्मीर में अराजकता का जो दौर चलाया गया तो मजबूर होकर राज्य सरकार द्वारा कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया गया।

हुर्रियत के नेताओं को क्या वहां की अवाम की तकलीफ क्यों नहीं दिखाई देती तो इसका सबसे बड़ा कारण पाकिस्तान के द्वारा की जाने वाली पैसो की मदद है। अब ये सामने आ रहा है की हुर्रियत के नेताओं ने खुद के परिवार और बच्चों को तो कश्मीर से बाहर भेज दिया है ताकि उन्हे किसी बात की परेशानी ना हो लेकिन कश्मीर के युवाओं से उन्हे कोई मतलब नहीं है। अपने पाकिस्तानी आकाओं के निर्देशो पर चलने वाले हुर्रियत के नेता ये कभी भी नहीं चाहेगे कि भारत सरकार कश्मीर में शांति बहाली में कामयाब हो, इसलिए कश्मीर के बेरोजगार युवाओं को पैसा देकर पत्थरबाजी जैसी घटना को अंजाम दिया जाता रहा है।

इसलिए ही भारत सरकार हुर्रियत के नेताओं से बात करने के सख्त खिलाफ है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्य हुर्रियत के नेताओं से बात करने के लिए गये लेकिन हुर्रियत के नेताओं ने उनसे बात करना तो दूर मिलने से भी इंकार कर दिया और इसके लिए ये कहते हुए उन्हे ही जिम्मेदार ठहरा दिया कि इस प्रतिनिधिमंडल का कोई ऐजेंडा ही नहीं है।

इसलिए बात करने का कोई फायदा नहीं। कर्फ्यू से जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को 6400 करोड़ का नुकसान का अनुमान है ये इस बात का साबुत है कि अराजकाता ही है जो वहां बेरोजगारी का एक कारण है। इस बात को कश्मीर के युवाओं को हुर्रियत और पाकिस्तान के छूपे एजेंडे को समझना होगा कि हुर्रियत के नेताओं को अवाम की तकलीफ से कोई मतलब नहीं है उन्हे तो पाकिस्तान के द्वारा दिए जाने वाले पैसों से मतलब है। जम्मू कश्मीर की खुशहाली का राज केवल शांती में है।

दिपेश मेहता

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